डिजिटल रुपये (प्रतीकात्मक तस्वीर)
खास बातें
- भविष्य की करेंसी होगा डिजिटल रुपया
- एक तीर से कई निशाने साध रही सरकार
- नोट व्यवस्था रखरखाव का खर्चा भी बचेगा
नई दिल्ली: डिजिटल रुपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य बनने जा रहा है. फिलहाल यह सरकार की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया और इसमें आने वाली दिक्कतों को दूर कर इसके प्रयोग का दायरा बढ़ाया जाएगा. डिजिटल रुपया बढ़ती तकनीक के साथ देश और विदेश में भी लेनदेन का माध्यम बन सकता है और इसकी मजबूती भविष्य में अर्थव्यवस्था की दिशा का निर्धारण भी करेगी. अब जब यह लागू होने की दिशा आगे चल चुका है तब लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल उठते जा रहे हैं. कई लोग आशंकित हैं कि कहीं यह भविष्य में पूरी तरह से वर्तमान व्यवस्था का विकल्प तो नहीं बन जाएगा. कई लोगों का लग रहा है कि आने वाले समय में एक बार फिर मोदी सरकार नोटबंदी की तरह कोई घोषणा कर दे और काला धन एक बार फिर केवल कागज बनकर तिजोरी की शान बन जाए.
संभव है भविष्ट में नोटबंदी की तरह कदम उठा लें मोदी
इस बारे में बैंकिंग विशेषज्ञों की राय भी अलग अलग है. हमने इस बारे में बैंकिंग के जानकार एससी सिन्हा से बात की. उनका भी मानना है कि फिलहाल सरकार नोटबंदी की तरह को जल्दबाजी में डिजिटल रूपी को लागू नहीं करने जा रही है. अभी डिजिटल रुपया पायलेट प्रोजेक्ट की तरह चल रहा है. आगे इसे सरकार सोच समझकर इसका दायरा बढ़ाएगी. फिलहाल तो संभव नहीं है. चार-पांच साल बाद यह संभव हो पाएगा. भारत का एक बड़ी आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहती है ऐसे में संभावना है कि इसे पूर्ण से लागू कर पुरानी व्यवस्था को बदल दिया जाए ऐसा निकट भविष्य में तो जान नहीं पड़ता है. अभी इस पर काफी काम करने की जरूरत है.
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देश के लिए जरूरी डिजिटल रुपया
सिन्हा का मानना है कि डिजिटल रुपया बेशक कालेधन पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाएगा. साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी वर्तमान परिस्थिति में रोकने का काम करेगा. इतना ही नहीं सरकार को टैक्स न देने वाले भी अब बच नहीं पाएंगे और सबसे बड़ी बात यह की टेरर फंडिंग पर भी पूरी तरह से रोक लगेगी. इसके अलावा क्रिप्टो करेंसी जैसे विदेशी डिजिटल करेंसी के भारत में फैलाव और भारतीयों के इसमें निवेश को भी रोका जा सकेगा.
डिजिटल रुपये को लोगों के बीच लाने के लिए काफी काम की जरूरत
इसी के साथ बैंकिंग व्यवस्था के जानकारी एससी सिन्हा का कहना है कि अभी यह प्रायोगिक तौर पर लागू किया गया है और अभी कई सारी बातें साफ नहीं हुई हैं. अबी यह नहीं साफ है कि आखिर कैसे डिजिटल लेन-देन को जमीनी स्तर पर उतारा जाएगा. वॉलेट के अलावा क्या और कोई विकल्प होगा. यह बात तो साफ है कि इस डिजिटल मनी के जरिए सरकार को लाखों करोड़ों रुपये की नकदी की बचत होने जा रही है जो सरकार हर साल नोट व्यवस्था को बनाए रखने के लिए खर्च करती है.
नकदी लेन-देन को ट्रैक कर पाएगी सरकार
सिन्हा का साफ मानना है कि डिजिटल रुपया के जरिए सरकार के पास रुपये के ट्रांसफर की पूरी जानकारी ट्रैक करने की सुविधा होगी.
आखिर क्यों जरूरी हो गया डिजिटल रुपया
बैंकिंग विशेषज्ञ एससी सिन्हा का कहना है कि डिजिटल रुपया से पूरी तरह से बैंकिंग व्यवस्था या कहे रुपये के लेन-देन की व्यवस्था में एकरूपता आ जाएगी. उनका कहना है कि आज की तारीख में रुपये के डिजिटल बैंकिंग में लेन-देन के लिए आपको बैंक खाते की जरूरत होती है जो डिजिटल रुपये के लेन-देन में नहीं पड़ेगी. इसके अलावा डिजिटल बैंकिंग में लेन-देन रियलटाइम नहीं होता जो डिजिटल रुपये में रियलटाइम मनी ट्रांसफर होगा. डिजिटल रुपये में बैंक खाते की जगह वॉलेट अकाउंट से लेन-देन होगा.
क्या वर्तमान बैंकिंग व्यवस्था को डिजिटल रुपया कोई नुकसान पहुंचाएगा
कई लोगों को भय लग रहा है कि डिजिटल रुपया भविष्य में बैंकिंग व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा. इस बारे में बैंकिंग विशेषज्ञ का कहना है कि डिजिटल रुपये बैंकिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंएगा. बैंकिंग सिस्टम अपनी जगह यथावत अपना काम करते रहेंगे. हां डिजिटल रुपये के लिए सरकार को आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा.
BHIM UPI ऐप का क्या होगा
संभव है कि भीम यूपीआई ऐप को सरकार इस डिजिटल रुपया के क्रियान्वयन में प्रयोग में लाए या फिर इसे डिजिटल रुपये के सिस्टम में मिला दिया जाए.