- विजय की पुडुचेरी में होने वाली पहली रैली में अधिकतम पांच हजार लोगों की अनुमति दी गई है.
- पुलिस ने रैली स्थल को पांच सौ लोगों की क्षमता वाले परिसरों में बांटकर भीड़ प्रबंधन का निर्देश दिया है.
- पुलिस ने विजय के रोड शो को संकरी सड़कों और भीड़ नियंत्रण की समस्याओं के कारण अस्वीकृत कर दिया है.
तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख और अभिनेता विजय मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश में एक राजनीतिक रैली करने वाले हैं. इसके लिए पुडुचेरी पुलिस ने रैली में आने वालों की संख्या पर सख्त सीमा, सीमांकित घेरा और निगरानीयुक्त प्रवेश जैसी कुछ शर्तें लागू की हैं. 27 सितंबर को करूर में हुई भगदड़ में 41 लोगों की मौत के बाद यह पार्टी द्वारा आयोजित पहली रैली होगी.
महज 5,000 लोग शामिल होंगे
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "टीवीके द्वारा जारी किए जाने वाले पास के आधार पर अधिकतम 5,000 प्रतिभागियों को अनुमति दी जाएगी. एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जल्द ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे."
इनको आने से किया मना

पुलिस सूत्रों के अनुसार, स्वीकृत स्थल को 500 लोगों के बैठने की क्षमता वाले निर्धारित परिसरों में विभाजित किया जाएगा, ताकि बेहतर भीड़ प्रबंधन और प्रवेश पर निगरानी रखी जा सके. अधिकारियों ने आयोजकों को स्थल पर पेयजल और शौचालय की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है. सुरक्षा सावधानियों के तहत, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
रोड शो से भी मना किया
टीवीके ने पहले एक रोड शो की अनुमति मांगी थी, लेकिन पुलिस ने शहर के तंग इलाकों और संकरी सड़कों का हवाला देते हुए अनुरोध अस्वीकार कर दिया, जो विजय की आम तौर पर आने वाली भीड़ को संभाल नहीं पाते. उन्हें यह भी चिंता थी कि विजय की रैली पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से भी बड़ी भीड़ खींच सकती है.

अभिनेता से राजनेता बने इस अभिनेता का तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में व्यापक जनसमर्थन है. उनकी पार्टी पुडुचेरी को उनकी राजनीतिक उपस्थिति स्थापित करने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र मानती है.
करूर भगदड़ कैसे हुआ
तमिलनाडु पुलिस ने पहले करूर भगदड़ के लिए टीवीके को ज़िम्मेदार ठहराया था और आरोप लगाया था कि विजय के देर से पहुंचने के कारण भीड़ उमड़ पड़ी, और अपर्याप्त भोजन और पानी के कमी और थकान ने इसे और बढ़ा दिया. टीवीके ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें सत्तारूढ़ डीएमके की साज़िश बताया और पुलिस पर रास्ते में भीड़ को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया. डीएमके ने इन आरोपों का खंडन किया है.
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