सिलीगुड़ी के पास माटीगारा में रहने वाली मिष्टी हलदार(28) बुधवार की सुबह सोकर उठी तो देखा कि तीस्ता नदी ठीक उसके बरामदे के बाहर से बह रही है जबकि सामान्य दिनों में यह उसके घर से करीब 250 मीटर की दूरी पर बहती थी. उसने देखा कि नदी के तेज बहाव में तम्बू, बर्तन और जानवरों के शव बह रहे थे.
हलदार ने कहा,'' सिक्किम में अचानक आई बाढ़ और बारिश के कारण नदी में रात भर में उफान आ गया और हमारे जिले के निचले इलाकों में बाढ़ आ गई. इसमें पर्यटकों या सेना के तम्बू और मलबा बह रहा था. ये सब देखकर आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था.''
बाढ़ के पानी को बढ़ता हुआ देखकर पुलिस ने उससे पास के स्कूल में जाने के लिए कहा जिसे आश्रय स्थल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा,''हममें से कई लोग केवल सूटकेस लेकर निकल गए और हम अपने घरों की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.''
अच्छी खबर ये है कि गुरुवार तक जलस्तर कम हो गया और हलदार के साथ सैकड़ों अन्य लोग अपने अपने घर लौटने में सक्षम हो गए. हालांकि, कई लोग अभी राज्य सरकार के अस्थायी बाढ़ आश्रय स्थलों में हैं.
जल एवं सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ से बचने के लिए तीस्ता नदी पर गाजोलडोबा बैराज के सभी फाटक खोलने होंगे. सिक्किम में अचानक आई बाढ़ ने कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं जिसमें सिक्किम और उत्तरी बंगाल के मैदानी इलाकों में लोगों का फंसना भी शामिल है.
सिक्किम जा रहे 33 वर्षीय श्रमिक रमाकांत यादव अपने आठ साथियों के साथ न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन पर फंस गए. ये उन सैकड़ों पर्यटकों, श्रमिकों और छात्रों में से हैं जो रेलवे स्टेशन पर फंसे हुए हैं.
उन्होंने कहा, 'हमने किराए पर कैब करके जाने की कोशिश की लेकिन हमें बीच रास्ते से ही वापस लौटा दिया गया और अब यात्रा के लिए पैसे अब खत्म हो गए हैं.''
यह भी पढ़ें -
-- "सरगना अभी भी बाहर है": संजय सिंह की गिरफ्तारी पर BJP नेता अनुराग ठाकुर का तंज
-- AAP को दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपी बनाने के लिए कानूनी सलाह ले रहा है ED - सूत्र
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं