- 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया 27 अक्टूबर से 7 फरवरी 2026 तक दस चरणों में पूरी की जाएगी
- मतदाता सूचियां 27 अक्टूबर 2025 की मध्यरात्रि को फ्रीज की जाएंगी और 28 अक्टूबर से गणना प्रपत्र मुद्रित होंगे
- बूथ स्तर अधिकारी 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित करेंगे और मतदाता नामों की जांच कराएंगे
बिहार के बाद अब 12 राज्यों में SIR की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. इसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल है. इन सभी राज्यों में दस चरणों में एसआईआर की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. इस प्रक्रिया को 27 अक्टूबर से 7 फरवरी 2026 तक पूरा किया जाएगा. इसी बीच हम यहां आपको एसआईआर से जुड़े कुछ FAQ's के बारे में बताने बताने वाले हैं, जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं.
कैसे क्या होगा? जानें एसआईआर की 10 चरण की प्रक्रिया
मतदाता सूचियां आज रात से फ्रीज: सभी 12 एसआईआर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूचियां 27 अक्टूबर, 2025 की मध्यरात्रि को आधिकारिक रूप से लॉक हो जाएंगी.
एन्युमरेशन फॉर्म को प्रिंट किया जाएगा: 28 अक्टूबर से, चुनाव आयोग द्वारा फ्रीज की गई मतदाता सूचियों को दर्शाने वाले गणना प्रपत्र मुद्रित किए जाएंगे.
बीएलओ का प्रशिक्षण: बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) को इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा, इसकी प्रक्रिया फ्रीजिंग के तुरंत बाद शुरू हो जाएगी.
प्रपत्रों का वितरण (4 नवंबर - 4 दिसंबर): बीएलओ 4 नवंबर से 4 दिसंबर, 2025 तक हर घर में नवीनतम मतदाता विवरण वाले अनूठे गणना प्रपत्र वितरित करेंगे.
मतदाता सूची 2003 के अनुसार नामों की जांच: प्रत्येक मतदाता, अपना गणना प्रपत्र प्राप्त करने पर, यह सत्यापित करेगा कि उसका नाम (या उसके माता-पिता का नाम) 2003 की आधार मतदाता सूची में है या नहीं, जो अब सार्वजनिक जांच के लिए ऑनलाइन उपलब्ध है.
2003 के मिलान पर कोई दस्तावेज़ नहीं: यदि किसी मतदाता का नाम गणना प्रपत्र और 2003 की सूची, दोनों में मेल खाता है—पूरी तरह से या पिता या माता के नाम के माध्यम से—तो किसी सहायक दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं है.
केवल मिलान न होने पर अतिरिक्त दस्तावेज़: जिन लोगों का नाम (स्वयं या माता-पिता का) 2003 की सूची से मेल नहीं खाता है, उन्हें इस अवधि के दौरान सत्यापन दस्तावेज़ों के साथ नए दावे दायर करने होंगे.
दावे/आपत्ति दाखिल करना (9 दिसंबर - 8 जनवरी): मसौदा मतदाता सूची 9 दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी. आपत्तियां, दावे और सुधार 9 दिसंबर से 8 जनवरी, 2026 तक स्वीकार किए जाएंगे.
31 जनवरी तक सुनवाई: सभी दावों और आपत्तियों की सुनवाई और जांच 31 जनवरी 2026 तक की जाएगी.
अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को: संशोधित, शुद्ध और अंतिम मतदाता सूची सभी 12 भाग लेने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आधिकारिक तौर पर 7 फरवरी, 2026 को जारी की जाएगी.
इस प्रक्रिया में 2003 की मतदाता सूची का क्या महत्व है?
2003 की मतदाता सूची प्रामाणिक मतदाताओं की पुष्टि के लिए आधार रेखा का काम करेगी. यदि नाम इस सूची से मेल खाते हैं या मतदाताओं के माता-पिता के नाम मेल खाते हैं, तो सत्यापन के दौरान किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी.
क्या है SIR
- चुनाव आयोग की ओर से यह मतदाता सूची में सुधार की एक प्रक्रिया है, जिसमें वोटर लिस्ट अपडेट की जाती है.
- इसमें 18 साल से अधिक उम्र के नए मतदाताओं को जोड़ा जाता है.
- जिन लोगों की मौत इस दौरान हो चुकी है, या जो पलायन कर चुके होते हैं, उनके नाम हटाए जाते हैं.
- वोटर लिस्ट में नाम, पते और अन्य त्रुटियों को भी संशोधित करके ठीक किया जाता है
- बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ खुद घर-घर जाकर फॉर्म भरवाते हैं.
- राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट इसमें BLO की मदद करते हैं.
अगर किसी का नाम गणना फॉर्म में नहीं है तो क्या होगा?
वे निर्धारित समय-सीमा (9 दिसंबर - 8 जनवरी) के भीतर दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सुनवाई में भाग ले सकते हैं.
क्या कोई कानूनी या राजनीतिक चुनौती होगी?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि अभी तक किसी टकराव या कानूनी चुनौती की सूचना नहीं मिली है, और इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समावेशी बनाने का इरादा है.
SIR क्यों जरूरी
देश में शहरीकरण और आबादी बढ़ने की वजह से बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश से लेकर देश के सभी बड़े राज्यों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है. वोटर लिस्ट में घुसपैठ का मुद्दा भी उठता रहा है और एसआईआर इस मुद्दे से भी निपट सकती है.
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