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This Article is From Sep 09, 2019

असम में NRC सूची जारी करने के बाद अब मुंबई के पास हिरासत केंद्र बनाने की तैयारी में सरकार: सूत्र

NRC in Assam: मंत्रालय ने ऐसी खबरों को गलत बताया है. लेकिन अगर केंद्र सरकार द्वारा इस साल के शुरुआत में भेजे गए गाइडलाइंस पर ध्यान दें तो पता चलेगा कि सरकार ने सभी प्रमुख आप्रवासन केंद्र के लिए एक हिरासत केंद्र बनाने की बात पर जोर दिया था.

असम में NRC सूची जारी करने के बाद अब मुंबई के पास हिरासत केंद्र बनाने की तैयारी में सरकार: सूत्र
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:

असम में NRC (Assam NRC) लिस्ट तैयार करने के बाद अब सरकार अवैध रूप से घुसपैठ करने वाले लोगों के लिए  हिरासत केंद्र बनाने की तैयारी में है. इसे लेकर नवी मुंबई में जमीन ढूंढ़ने की कवायत भी शुरू हो गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय ने नवी मुंबई प्लानिंग अथॉरिटी से हिरासत केंद्र बनाने के लिए जमीन देने को कहा है. इस खबर की पुष्टि मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने भी की है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने NRC सूची जारी करने के साथ ही असम में 19 लाख से ज्यादा लोगों को विदेशी घोषित किया था. अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि सरकार महाराष्ट्र में भी असम के तर्ज पर ही ऐसे लोगों का पता लगाएगी और उन्हें इन्ही हिरासत केंद्रों में रखा जाएगा.

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र सिटी एंड इंडस्ट्री डेवलपमेंट कॉरपोरेशन विभाग को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें नेरुल में दो से तीन एकड़ जमीन देने की बात कही गई है. नेरुल नवी मुंबई में आता है जो मुंबई से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है. हालांकि, मंत्रालय ने इस तरह के किसी भी पत्र भेजे जाने की खबरों को गलत बताया है. लेकिन अगर केंद्र सरकार द्वारा इस साल के शुरुआत में भेजे गए गाइडलाइंस पर ध्यान दें तो पता चलेगा कि सरकार ने सभी प्रमुख आप्रवासन केंद्र के लिए एक हिरासत केंद्र बनाने की बात पर जोर दिया था. महाराष्ट्र में ऐसा कोई केंद्र बनाए जाने की खबर तब आई है जब शिवसेना विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में रहने वाले बांग्लादेशी लोगों का मुद्दा उठाती रही है. 

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गौरतलब है कि असम में कड़ी सुरक्षा के बीच 31 अगस्त को एनआरसी लिस्ट जारी कर दी गई थी. एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला ने बताया था कि 3,11,21,004 लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है. जबकि 19,06,657 लोगों को लिस्ट में जगह नहीं दी गई है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कोई दावा नहीं किया है. उन्होंने यह भी कहा था कि जो लोग इससे सहमत नही हैं वे ट्रिब्युनल में अपील कर सकते हैं. सुरक्षा के मद्देनज़र राज्य के कई इलाक़ों में धारा 144 भी लगाई गई है. जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में नहीं होंगे उनकी सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है.

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एनआरसी की फाइनल लिस्ट के प्रकाशन से पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कहा था कि वे घबराएं नहीं राज्य सरकार अपनी नागरिकता साबित करने में उन लोगों को मदद करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी जो वास्तव में भारतीय हैं. सोनोवाल ने इन लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया. उन्होंने यह भी कहा था कि शनिवार को प्रकाशित होने वाली एनआरसी की अंतिम सूची से यदि किसी का नाम बाहर रह जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विदेशी बन गया है. क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) ही इस संबंध में निर्णय ले सकता है.

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बता दें, असम के मंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने कहा था कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) असमिया समाज के लिए "रेड लेटर" के रूप में नहीं देखा जा सकता है. बीजेपी नेता ने संकेत दिए थे कि उन्हें इस बात पर थोड़ा भरोसा था कि यह लिस्ट विदेशियों से छुटकारा पाने में मदद करेगा. सरमा ने शुक्रवार को लोकल पत्रकारों से कहा था कि ड्राफ्ट के आने के बाद हमने एनआरसी के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए आशा खो दी है. जब कई सच्चे भारतीय इससे बाहर चले गए, तब आप कैसे इस बात का दावा कर सकते हैं कि यह डॉक्यूमेंट असमिया समाज के लिए रेड लेटर है.

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