अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के वापस जाने के बाद सरकार की तालिबान के साथ हो रही बातचीत बेनतिजा रहती है तो भारत की ओर से सैन्य मदद मांगी जाएगी. यह भारत में अफगानिस्त के राजदूत ने कहा. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि मदद के तौर पर सैनिक नहीं मांगे जाएंगे, बल्कि यह मदद ट्रैनिंग और टेक्निकल सपोर्ट के रूप में ली जाएगी. अगस्त महीने के आखिर तक अमेरिका अपनी सेना वापस बुला लेगा. इस बीच तालिबान अफगानिस्तान पर नियंत्रण करना चाहता है. वहीं, अफगानिस्तान सरकार तालिबान के साथ बातचीत कर रही है.
एएफपी की रिपोर्ट में मंगलवार को बताया गया कि दोहा में हो रही शांति वार्ता काफी हद तक विफल हो गई है, और तालिबान अब पूरी तरह अपनी सेना का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है.
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडज़े ने एनडीटीवी को बताया, 'हमें तालिबान से शांति वार्ता जरूर करनी चाहिए, लेकिन ऐसा समय भी आ सकता है, जहां हमें भारत से सैन्य मदद लेनी पड़ सकती है.' साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया, 'हम अफगानिस्तान में सैनिक भेजने की मदद नहीं मांग रहे हैं. मौजूदा समय में हमें अभी भारत की ओर से सैन्य मदद की जरूरत नहीं है.'
'पायलट ट्रेनिंग' का उदाहरण देते हुए राजनयिक ने कहा कि भारत की ओर से उन्हें वायुसेना के क्षेत्र में मदद की जरूरत पड़ सकती है. उन्होंने कहा, 'भारत ने हमारी जो मामलों में मदद की है, इनमें मिलिट्री ट्रेनिंग और हमारे कैडेट्स को स्कॉलरशिप शामिल हैं.
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राजनयिक ने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति 'बहुत गंभीर' है. 376 जिलों में से 150 जिलों में हम सक्रिय रूप से तालिबान के साथ लड़ रहे हैं. देश का एक तिहाई हिस्से में युद्ध जैसे हालात हैं. अकेले अप्रैल 2021 से देश में दो लाख से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं.
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