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This Article is From Aug 20, 2021

तालिबान के नाम पर भारत में हिंदू-मुस्ल‍िम सियासत

तालिबान के दोबारा उभरने का सबब भारत के लिए भी है, जहां भी धर्म के सहारे राजनीति होती है, वहां राजनीति का सत्यानाश हो जाता है. धर्म का चेहरा बदल जाता है. देश पीछे चला जाता है. ये बात काबुल के लिए ही नहीं, दिल्ली के लिए भी सही है.

तालिबान बना ध्रुवीकरण का बहाना. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

लखनऊ:

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हिंदुस्तान में ध्रुविकरण का जरिया बन रहा है. देश में वहाबी मुसलमानों के एक तबके ने तालिबान की हिमायत शुरू कर दी है. तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसे लोगों को बेनकाब करने को कहा है. यूपी बीजेपी के आईटी सेल के हेड ने ट्वीट किया है कि योगी जी तालिबान की बर्बरता की की वजह से देवबंर की यूनिट खोल रहे हैं. अफगानिस्तान की हकीकत से बेखबर लोग सोशल मीडिया पर तालिबान के पक्ष-विपक्ष में सांप्रदायिक बहस कर सकते हैं. इसे सामाजिकम ध्रुविकरण का खतरा बढ़ा है.

काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान और उसकी तालिबान शरियर के कानून से खौफजदा आम अफगानी मुसलमान कई दिन तक मुल्क छोड़कर भागने की जद्दोजहद करते रहे. क्या खौफ होगा तालिबान का कि किसी भी कीमत पर वहां से भागने के लिए कुछ जहाज के डैनों तो कुछ पहियों से चिपक गए. और आसमान से गिर के चीथड़ों में बदल गए. हिंदुस्तान में तालिबान के हिमायती मौलाना इन खौफजदा लोगों को अमेरिकी एजेंट बताते हैं.

मुस्ल‍िम धर्मगुरु मौलाना मसूद मदनी कहते हैं, 'वो अमेरिका के लोग थे जो अमेरिका के साथ भागने को तैयार थे. उनको अमेरिका रोटियां ख‍िला रहा था और माल दे रहा था, डॉलर दे रहा था. वो चूंकि डरे हुए हैं हालांकि उनको भी माफ कर दिया है अफगान तालिबान ने.'

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वहाबी सोच के तमाम मौलाना हजारों बेगुनाह मुसलमानों के कातिल तालिबान की हिमायत में उतरे हैं. कह रहे हैं कि अब उनका हृदय परिवर्तन हो गया है. कुछ तो उनकी तुलना पैगंबर मोहम्मद से कर रहे हैं.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने तो तालिबान के खूनी इतिहास को भुला कर उन्हें एक तरह से अहिंसा का पुजारी बताया और उनके अफगानिस्तान पर कब्जा करने पर उनको हिंदुस्तान से सलाम भेजा है.

मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा, 'मुबारक हो इमारते इस्लामिया अफगानिस्तान के कायदीन को. आपका दूर बैठा हुआ ये हिंदी मुसलमान आपको सलाम करता है. आपकी अजमत को सलाम करता है. आपकी जुर्रत और हौसले को सलाम करता है. आपके जांबाजी ईमानी को सलाम करता है.' 

यूं तो अफगानिस्तान में मुस्लिम आबादी 97.07 फीसद है. ग़ैर मुस्लिम सिर्फ 0.3 फीसद हैं. अफगानिस्तान में पश्तून, ताजिक, हजारा, अल्माक, तुर्कमेन और बलूच कबीले हैं. इन मुस्लिम में वर्चस्व की लड़ाई चलती रहती है. लेकिन अब अफगानिस्तान में मुसलमानों की आपसी लड़ाई भारत में ध्रुवीकरण की राजनीति की खुरक बन रही है.

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सीएम योगी ने कहा था कि तालिबान का समर्थन कर रहे हैं कुछ लोग. महिलाओं के साथ क्या क्रूरता बरती जा रही है वहां पर. बच्चों के साथ क्या क्रूर बरती जा रही है अफगानिस्तान में, लेकिन कुछ लोग बेशर्मी के साथ तालिबान का समर्थन किए जा रहे हैं. तालिबानीकरण करना चाहते हैं. इन सब के चेहरे एक्सपोज किए जाने चाहिए समाज के सामने.

उन्होंने लिखा कि यूपी में योगी सरकार ने जिन चार जगहों पर एटीएस का केंद्र कायम करने का फैसला किया, उनमें देवबंद भी एक है. लेकिन बीजेपी आईटी सेल के हेड ने इसे भी तालिबान से जोड़ दिया. इससे साफ है की तालिबान कैसे यूपी की सियासत में आ गया है.

यही वक्त की मांग है की इतिहास से सीख लेकर हम उससे दो कदम आगे चलें. तालिबान की बर्बरता को देखते हुए योगी जी की सरकार ने देवबंद में एटीएस कमांडो सेंटर खोलने का निर्णय लिया है. यहां प्रदेश भर से चुने गए बहादुर एटीएस अफसर होंगे. ऐसी दूरदृष्टि केवल हमारे योगी जी में ही मिलती है.

तालिबान शिया और सूफी मुसलमानों को मुस्लिम नहीं मानता. अफगानिस्तान में हजारा कबीले के लोग फारसी शिया मुस्लिम हैं. अफगानिस्तान में उनपर हमलों का पुराना इतिहास है. तालिबान पर तमाम शिया मुसलमानों के कत्लेआम के इल्जाम हैं. इसी तरह वहां सूफियों का जबरदस्त प्रभाव रहा है. लेकिन, तालिबान ने बड़े पैमाने पर सूफी मुसलमानों की हत्याएं की हैं.

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शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि इन्होंने सिर्फ निहत्थे आवाम को मारा है. छोटे-छोटे बच्चों को मारा है. ये इस्लाम के नाम पर धब्बा हैं, इस्लाम के नाम पर कलंक हैं ये. और जो भी इनकी हिमायत कर रहा है वह बहुत कुछ फगलत हिमायत कर रहा है और वही लोग हिमायत कर रहे हैं जो यजीद के हमी हैं.

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