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This Article is From Feb 18, 2025

उत्तराखंड में जंगल की आग से निपटने के लिए एडवांस फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन तैयार, जानिए कैसे करता है काम

आईएफएस वैभव सिंह बताते हैं कि उन्‍होंने कई सालों तक इस पर काम किया और उसके बाद यह एडवांस ऐप बनाने में कामयाबी हासिल की है.  इसका उन्‍होंने खुद रुद्रप्रयाग में डीएफओ रहते ट्रायल किया था.

उत्तराखंड में जंगल की आग से निपटने के लिए एडवांस फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन तैयार, जानिए कैसे करता है काम
देहरादून:

उत्तराखंड में जंगल की आग हर साल हजारों हेक्‍टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचाती है. इसकी एक बड़ी वजह समय-समय पर लगने वाली फॉरेस्ट फायर की घटनाओं को समय रहते कंट्रोल नहीं किया जाना है. अब उत्तराखंड में पहली बार दुनिया की सबसे एडवांस फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन इस्तेमाल करने का दावा किया जा रहा है. इस फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन से रेस्‍पांस टाइम 5 से 6 घंटे तक कम हो जाएगा, जिससे वन संपदा को समय रहते बचाया जा सकेगा. 

उत्तराखंड में 15 फरवरी से फॉरेस्ट फायर सीजन की शुरुआत हो जाती है. हालांकि इस बार फॉरेस्ट फायर सीजन को लेकर वन विभाग पुख्ता तैयारी की बात कर रहा है. वन विभाग ने कई सालों के ट्रायल के बाद एक एडवांस फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन तैयार की है. इस फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन को बनाने वाले आईएफएस अधिकारी वैभव सिंह हैं, जिन्होंने कई देशों के फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन का अध्ययन करने के बाद सबसे लेटेस्ट और एडवांस्ड वर्जन तैयार किया है. 

रुद्रप्रयाग में किया जा चुका है ट्रायल

दावा किया जा रहा है कि यह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका समेत दुनिया के कई देशों की फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन से एडवांस है. लॉस एंजेलिस की आग की घटना को दुनिया ने देखा और इसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि जंगल में आग लगने की घटनाओं से कैसे बचा जा सके और अगर आग लग भी जाती है तो कैसे उसे वक्‍त रहते बुझाया जा सके. यही वजह थी कि कई देशों की फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन का अध्‍ययन कर उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी वैभव सिंह ने एडवांस्ड एप्लीकेशन तैयार की. 

वैभव सिंह बताते हैं कि उन्‍होंने कई सालों तक इस पर काम किया और उसके बाद यह एडवांस ऐप बनाने में कामयाबी हासिल की है.  इसका उन्‍होंने खुद रुद्रप्रयाग में डीएफओ रहते ट्रायल किया था. साल 2020 से 2022 तक रुद्रप्रयाग में फॉरेस्ट फायर कंट्रोल के लिए इस फायर एप्लीकेशन को इस्तेमाल किया जा चुका है. 

कैसे काम करता है यह सिस्‍टम?

उत्तराखंड की फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन में जब आग लगने की कोई घटना होती है तो तुरंत इसका अलर्ट वन कर्मचारी के फोन पर आ जाता है, जो भी वनकर्मी आग लगने वाले स्‍थान के पास है, वह तुरंत वहां जाकर आग को बुझाएगा. फायर एप्लीकेशन पर आग लगने की घटना रेड कलर से इंडिकेट होगी और जब फायरकर्मी वहां पहुंचेगा तब येलो कलर से इस एप्लीकेशन पर इंडिकेशन आएगा. आग बुझने पर फॉरेस्ट कर्मचारी ग्राउंड से ही अपडेट करेगा, जिससे ग्रीन  कलर की लोकेशन इंडिकेट होगी और यह साबित हो जाएगा कि वहां पर आग पर कंट्रोल कर लिया गया है. 

एप्‍लीकेशन से 7 हजार कर्मचारियों को जोड़ा 

इस फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन से 7 हजार कर्मचारियों को जोड़ा गया है. साथ ही वन क्षेत्र में 40 वाहनों की लोकेशन भी इस ऐप के जरिए पता चलती रहेगी. वहीं इस एप्लीकेशन का प्रयोग करने के बाद रेस्‍पांस टाइम में करीब 5 से 6 घंटे तक कमी आएगी. इसके अलावा फॉरेस्ट फायर की सही लोकेशन का पता चल सकेगा और संबंधित रेंज के अधिकारी और कर्मचारी फौरन मौके पर पहुंच सकेंगे. 

प्रदेश भर के वन क्षेत्र पर रहेगी नजर

उत्तराखंड वन विभाग में फॉरेस्ट फायर के नोडल अधिकारी और APCCF निशांत वर्मा कहते हैं कि उत्तराखंड के लिए यह फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन बेहतर साबित होगा, जिसे सीधे उत्तराखंड फॉरेस्ट मुख्यालय में बनाए गए इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर से जोड़ा गया है. इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर में इस एप्लीकेशन के डैशबोर्ड के जरिए वन विभाग प्रदेश भर के वन क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रख सकता है. निशांत शर्मा कहते हैं कि उत्तराखंड वन विभाग की वन क्षेत्र में वन चौकियों, निगरानी टावर समेत वन क्षेत्र की स्थिति को भी एप्लीकेशन में जोड़ा गया है. 

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