महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार से कुछ दिन पहले, उद्धव ठाकरे खेमे के नेता आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर सरकार में बड़े बदलाव की भविष्यवाणी की है. आदित्य ठाकरे का कहना है कि एकनाथ शिंदे को "इस्तीफा देने के लिए कहा गया है". अजित पवार और आठ अन्य राकांपा विधायकों के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद शिंदे की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. अजित पवार अभी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद साझा कर रहे हैं. वैसे बता दें कि पिछले दो दिनों से एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच दो लंबी-लंबी बैठकें हुई हैं.
आदित्य ठाकरे ने मीडिया से कहा, "मैंने सुना है कि सीएम (एकनाथ शिंदे) को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है और (सरकार में) कुछ बदलाव हो सकता है." आदित्य ठाकरे की टिप्पणी उन खबरों के बीच आई है, जिनमें कहा जा रहा है कि कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बागी अजित पवार और उनके समर्थकों के सरकार में शामिल होने के बाद भाजपा, एकनाथ शिंदे समूह को दरकिनार कर रही है.
#WATCH | Mumbai: "I have heard that CM (Eknath Shinde) has been asked to resign and there might be some change (in the govt), says Uddhav Thackeray faction leader Aaditya Thackeray (07.07) pic.twitter.com/IBW7HNfmoB
— ANI (@ANI) July 7, 2023
हाल ही में, शिवसेना (यूबीटी) के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया था कि राकांपा नेता अजित पवार के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद से शिंदे के समूह के लगभग 20 विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में हैं. संजय राउत ने दावा किया, "जब से अजित पवार और अन्य राकांपा नेता सरकार में शामिल हुए हैं, शिंदे खेमे के 17-18 विधायकों ने हमसे संपर्क किया है."
हालांकि, शिंदे ने कहा है कि उनकी पद छोड़ने की कोई योजना नहीं है और एनसीपी के बागियों को लेकर शिवसेना में कोई विद्रोह नहीं है. शिवसेना नेता उदय सामंत ने कहा, "हम इस्तीफा देने वाले नहीं, बल्कि लेने वाले हैं. उनका नेतृत्व सभी को साथ लेकर चलने और धैर्य रखने का है. कल सभी विधायकों, सांसदों ने एकनाथ शिंदे पर भरोसा जताया है...यह सब (असंतोष की खबरें) एकनाथ शिंदे को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है."
पिछले साल तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले संगठन से अलग हुए गुट के सदस्य, शिव सेना नेता ने कटाक्षों का जिक्र करते हुए कहा कि अजित पवार के कदम ने उन्हें "गद्दार" (देशद्रोही) और "खोखे" (करोड़ों) तानों से मुक्त कर दिया है. उनके पाला बदलने के बाद से ही विद्रोही खेमा परेशान है. सामंत ने कहा कि अजित पवार के हमारे साथ आने का मतलब है कि पिछली बार, पिछला गठबंधन (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस) अच्छा काम नहीं कर रहा था.
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