हिंडनबर्ग केस (Hindenburg Case)में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी से अदाणी ग्रुप (Adani Group) को क्लीन चिट मिल गई है. कमेटी ने कहा कि अदाणी की कंपनियों में गैर-कानूनी निवेश के सबूत नहीं मिले हैं. पहली नजर में किसी भी नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है. एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर राजनीतिक दलों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया भी दी है. वहीं, कांग्रेस ने जेपीसी मांग दोहराई है. इस मामले में राजनीतिक विश्लेषक और एंकर तहसीन पूनावाला ने कहा-"एक्सपर्ट कमेटी ने कहा है कि पहली नजर में अदाणी ग्रुप के कोई नियम तोड़ने के सबूत नहीं मिले हैं. ऐसे में किसी ग्रुप या उद्योग घराने को इस तरह बिना सबूतों के टारगेट करना अनुचित है."
NDTV से बात करते हुए तहसीन पूनावाला ने कहा, "इस तरह किसी उद्योग घराने को टारगेट करने से देश का नुकसान भी होता है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट एक सेल्फ मोटिवेटेड रिपोर्ट थी. बेशक शॉर्ट सेलिंग हुई, लेकिन नुकसान भारतीयों का हुआ. वहीं, विदेशी मीडिया पर क्या हम पूरी तरह से भरोसा करना चाहिए? हमें इस पर भी विचार करने की जरूरत है." उन्होंने कहा, "सवाल उठाना कोई गलत बात नहीं है. लोकतंत्र में सवाल उठाने भी चाहिए. लेकिन अगर इन सवालों का सही समय पर सही तरीके से जवाब दिया जाता, तो चीजें इतनी मुश्किल नहीं हुई होतीं."
कांग्रेस ने फिर दोहराई जेपीसी जांच की मांग
कांग्रेस ने एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को एक सिरे से खारिज कर दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की जांच का दायरा सीमित था. इसलिए जेपीसी जांच अब भी जरूरी है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर पांच मुद्दे उठाए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कहती रही है कि अदालत द्वारा नियुक्त पैनल के पास बहुत सीमित अधिकार क्षेत्र है. जयराम रमेश ने कहा कि हम समिति की रिपोर्ट पर इसके सदस्यों की प्रतिष्ठा को देखते हुए और कुछ नहीं कहना चाहते हैं, सिवाय इसके कि इसके निष्कर्ष पूर्वानुमानित थे. उन्होंने जेपीसी की मांग को दोहराया है.
अमित मालवीय ने कांग्रेस पर साधा निशाना
वहीं, हिंडनबर्ग मामले में बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ट्वीट कर कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा है.
JDU की प्रवक्ता अनुप्रिया ने भी दी राय
जनता दल यूनाइटेड की प्रवक्ता अनुप्रिया ने भी इस मामले में अपनी राय दी. उन्होंने कहा, "जब ऐसा मामला संसद में उठाया जाता है, तो देश की जनता पीएम की ओर जवाब के लिए देखती है. लेकिन जब केंद्र सरकार की ओर से कुछ भी नहीं कहा गया, इसी संदर्भ में विपक्ष ने जेपीसी जांच की मांग की. जेपीसी जांच की मांग पर कभी भी पीएम या बीजेपी ने कुछ नहीं कहा. इसके बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला संज्ञान में लिया. मेरी समझ से इस मामले को राजनीतिक मुद्दा विपक्ष नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी ने ही बनने दिया था.
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