प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
ऑटिज्म, बौद्धिक अक्षमता और तेजाब हमला पीड़ितों को अब केंद्र सरकार की नौकरियों में कोटा दिया जाएगा. एक आधिकारिक आदेश में कहा गया कि ग्रुप-ए, बी और सी श्रेणी में सीधी भर्ती के मामले में मानक अक्षमता से ग्रस्त नि:शक्तजनों के लिए आरक्षण की व्यवस्था मौजूदा तीन प्रतिशत से बढ़कर कुल रिक्तियों का 4 प्रतिशत हो जाएगा.
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मानक अक्षमता का अर्थ है किसी व्यक्ति में विशिष्ट अक्षमता 40% से कम नहीं हो. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने हाल में केंद्र सरकार के सभी विभागों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रत्येक पदों का एक प्रतिशत दृष्टिहीन एवं कम दृश्यता वाले लोगों, मूक बधिरों, सेरेब्रल पाल्सी समेत चलने-फिरने में अक्षम लोगों, कुष्ठ रोग से निदान पाए लोगों, बौनेपन से ग्रस्त, तेजाब हमला पीड़ितों एवं मांसपेशीय विकार से ग्रस्त लोगों के लिए आरक्षित की जाए. प्रत्येक एक प्रतिशत पद ऑटिज्म, बौद्धिक अक्षमता, सीखने-समझने की विशिष्ट अक्षमता एवं मानसिक व्याधियों से ग्रस्त लोगों के लिए आरक्षित होगा.
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दिव्यांगता अधिकार विधेयक-2016 के पारित हो जाने के बाद सीखने-समझने की अक्षमता से ग्रस्त लोगों एवं तेजाब हमला पीड़ितों के लिये आरक्षण कोटा बढ़ाने एवं इस संबंध में संबंधित नियमों की अधिसूचना जारी करने का कदम सामने आया है. साल 2005 में डीओपीटी के इससे पहले के आदेश के अनुसार कुल पदों का तीन प्रतिशत दिव्यांगजन के लिए आरक्षित होता था.
(इनपुट : भाषा)
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मानक अक्षमता का अर्थ है किसी व्यक्ति में विशिष्ट अक्षमता 40% से कम नहीं हो. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने हाल में केंद्र सरकार के सभी विभागों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रत्येक पदों का एक प्रतिशत दृष्टिहीन एवं कम दृश्यता वाले लोगों, मूक बधिरों, सेरेब्रल पाल्सी समेत चलने-फिरने में अक्षम लोगों, कुष्ठ रोग से निदान पाए लोगों, बौनेपन से ग्रस्त, तेजाब हमला पीड़ितों एवं मांसपेशीय विकार से ग्रस्त लोगों के लिए आरक्षित की जाए. प्रत्येक एक प्रतिशत पद ऑटिज्म, बौद्धिक अक्षमता, सीखने-समझने की विशिष्ट अक्षमता एवं मानसिक व्याधियों से ग्रस्त लोगों के लिए आरक्षित होगा.
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दिव्यांगता अधिकार विधेयक-2016 के पारित हो जाने के बाद सीखने-समझने की अक्षमता से ग्रस्त लोगों एवं तेजाब हमला पीड़ितों के लिये आरक्षण कोटा बढ़ाने एवं इस संबंध में संबंधित नियमों की अधिसूचना जारी करने का कदम सामने आया है. साल 2005 में डीओपीटी के इससे पहले के आदेश के अनुसार कुल पदों का तीन प्रतिशत दिव्यांगजन के लिए आरक्षित होता था.
(इनपुट : भाषा)
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