
सुप्रीम कोर्ट में गेटवे ऑफ इंडिया पर पैसेंजर जेटी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान काफी रोचक बहस हुई जिसमें CJI भूषण रामकृष्ण गवई ने 'आमची मुंबई' और 'त्यांची मुंबई' का अंतर भी बताया. CJI गवई ने कहा, 'आमची मुंबई कोलाबा में नहीं रहती है. यह केवल 'त्यांची मुंबई' है, जो कोलाबा में रहती है. आमची मुंबई मलाड, ठाणे, घाटकोपर में रहती है.' मराठी में आमची का मतलब है हमारी और त्यांची का मतलब है उनकी.. लेकिन मुंबई के लिए कहा जाता है कि आमची मुंबई मतलब जहां-जहां आम आदमी रहता है और 'त्यांची का मतलब जहां कुलीन वर्ग रहता है.
दरअसल, पैसेंजर जेटी के खिलाफ याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह 'आमची मुंबई' और 'त्यांची मुंबई' के बीच है - कभी-कभी यही अंतर होता है. CJI गवई ने याचिकाकर्ता की दलीलों को ठुकराते हुए कई दिलचस्प टिप्पणियां कीं, 'यह ऐसा है- हर कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चाहता है, लेकिन 'मेरे घर के पीछे नहीं.' शहर में कुछ अच्छा हो रहा है तो हर कोई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है.' 'अब आप देख सकते हैं कि तटीय सड़क के क्या लाभ हैं? दक्षिण मुंबई से एक व्यक्ति वर्सोवा 40 मिनट में पहुंच जाता है; पहले इसमें 3 घंटे लगते थे.'
CJI गवई ने जवाब दिया कि इस तरह की परियोजनाएं वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं, दुनियाभर में ऐसी जगह हैं, अगर आप मियामी जाते हैं, तो वहां बहुत सारी हैं. ये सब कहते हुए CJI गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई के पास पैसेंजर जेटी और टर्मिनल बनाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. बेंच ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट पहले से ही इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और अनुरोध किया कि हाईकोर्ट मानसून खत्म होने से पहले मामले में फैसला लें. यह याचिका क्लीन एंड हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन द्वारा दायर की गई थी, जो वर्तमान याचिकाकर्ता के साथ कोलाबा के 400 से अधिक निवासियों का एक संघ है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं