भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस के बीच सोमवार को हुए दुर्लभ फोनकॉल ने दोनों मुल्कों के बीच जम्मू-कश्मीर में मौजूदा संघर्ष विराम का मार्ग प्रशस्त किया. सूत्रों ने NDTV को यह जानकारी दी. हाल के वर्षों में फायरिंग की घटनाओं में हुए इजाफे के बीच इस इस घटनाक्रम से सीमा पर रहने वाले नागरिकों को नई उम्मीद जगी है. भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम भारत की ओर से वर्ष 2003 में प्रस्तावित और स्वीकार किया गया था. यह 2016 तक कायम रहा, इसके बाद उरी में आतंकी हमला हुआ. वर्ष 2016 और 2018 के बीच संघर्ष विराम का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ.
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वर्ष 2018 में पाकिस्तान की ओर से प्रस्तावित संघर्षविराम नाकाम रहा. इसके बाद से संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं हुई हैं जिनमें दोनों देशों की ओर से लाइन ऑफ कंट्रोल यानी LOC के आसपास नियमित तौर पर आर्टिलरी (तोपखाने) और मशीन गन का इस्तेमाल हुआ. सूत्रों के अनुसार, इस दौरान भी दोनों देशों की सेना के बीच हॉटलाइन सक्रिय रही. नियमित तौर पर मेजर रैंक के अधिकारी की दूसरे पक्ष से बातचीत होती है. सप्ताह में एक बार ब्रिगेडियर स्तर की बात होती है लेकिन डायरेक्टर्स जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस के बीच बहुत कम मौकों पर ही बात करते हैं.सूत्रों ने बताया कि इस बार सोमवार को इनके बीच बातचीत हुई और बुधवार अर्धरात्रि से संघर्षविराम प्रभावी हो गया. गुरुवार को संयुक्त बयान में संघर्ष विराम का ऐलान किया गया.
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संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘सीमाओं पर दोनों देशों के लिए लाभकारी एवं स्थायी शांति स्थापित करने के लिए डीजीएमओ ने उन अहम चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई, जिनसे शांति बाधित हो सकती है और हिंसा हो सकती है.'' इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौतों, और आपसी सहमतियों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई.'' दोनों पक्ष ने दोहराया कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने या गलतफहमी दूर करने के लिए हॉटलाइन संपर्क और ‘फ्लैग मीटिंग' व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा.सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन साल करीब 11 हजार संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं हुई हैं जिसमें 140 से अधिक सुरक्षा बलों के जवानों और नागरिकों को गंवानी पड़ी है.
संसद में पिछले माह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि पाकिस्तान ने पिछले साल 5133 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया, जिसमें सुरक्षा बलों के 46 जवान शहीद हुए. रक्षा मंत्री ने बताया था कि इस साल 28 जनवरी तक ही संघर्षविराम उल्लंघन की 299 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं.
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