नई दिल्ली:
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की रोक के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिन्दू सिर्फ़ हिन्दू होता है। उसमें महिला या पुरुष में फर्क नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को मंदिर में प्रवेश से यह कहकर नहीं रोका जा सकता क्योंकि वह महिला है...
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या कोई भी ट्रेडिशन संविधान के अधिकारों से ऊपर होगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संवैधानिक तौर पर देखा जाए तो पहली नजर में लिंग के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं हो सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट से कहा था कि यह बताया जाए कि संवैधानिक तौर पर यह कैसे स्वीकार किया जाए कि मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर बैन किया जाए। अदालत ने कहा कि महिलाओं को क्यों न एंट्री दी जाए। लिंग के आधार पर इस तरह का भेदभाव खतरनाक चरण में है।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या कोई भी ट्रेडिशन संविधान के अधिकारों से ऊपर होगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संवैधानिक तौर पर देखा जाए तो पहली नजर में लिंग के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं हो सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट से कहा था कि यह बताया जाए कि संवैधानिक तौर पर यह कैसे स्वीकार किया जाए कि मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर बैन किया जाए। अदालत ने कहा कि महिलाओं को क्यों न एंट्री दी जाए। लिंग के आधार पर इस तरह का भेदभाव खतरनाक चरण में है।
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