प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
रेलवे की शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें वैसे तो यात्रियों को विशेष सुविधाएं देने के लिए पहचानी जाती हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि यह ट्रेनें खानपान के मामले में यात्रियों को संतुष्ट नहीं कर पा रही हैं. सरकार ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि रेलवे को राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में खानपान से जुड़ी गड़बड़ियों की पिछले साल 31 अक्टूबर तक नौ हजार से अधिक शिकायतें मिली हैं.
राज्यसभा में शुक्रवार को रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि साल 2014 से अक्टूबर 2017 के बीच दोनों प्रीमियम रेलगाड़ियों में भोजन की गुणवत्ता से जुड़ी 9804 शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं. उन्होंने कहा कि इन पर कार्रवाई करते हुए पिछले तीन साल में 3486 केटरर पर अर्थदंड लगाया गया जबकि 3624 को चेतावनी दी गई. खानपान संबंधी 10 ठेके रद्द किए गए और 1134 केटरर को उचित परामर्श जारी किया गया. गोहेन ने बताया कि 467 शिकायतें आधारहीन पाई गईं जबकि 44 में अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई.
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एक अन्य सवाल के जवाब में रेल मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि सरकार ने रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के मानकों को फिर से तय किया है. उन्होंने बताया कि स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही, राजस्व उगाही और महत्व के आधार पर स्टेशनों को फिर से श्रेणीबद्ध किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में कई स्टेशनों को पुनर्विकास के लिए चिन्हित किया गया है. स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 23 स्टेशनों का क्षेत्रीय रेलमंडलों द्वारा पुनर्विकास किया जाएगा.
यह भी पढ़ें : लोकसभा में उठा रेलवे में खानपान का मामला, फ्रोजन फूड मुहैया कराने का सुझाव
सपा के रेवती रमण सिंह द्वारा स्टेशन और रेलगाड़ियों में गंदगी का मुद्दा उठाने पर गोयल ने कहा कि रेलवे ने सफाई की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र को दी है. उन्होंने बताया कि सेवा शर्तों में निजी ठेकेदारों की जवाबदेही तय की गई है. उन्होंने सदस्यों से यात्रा संबंधी परेशानियों और शिकायतों से विभिन्न माध्यमों से मंत्रालय को अवगत कराने की अपील की जिससे इस पर यथाशीघ्र कार्रवाई की जा सके और अन्य यात्री भी सेवा संबंधी शिकायतें बढ़चढ़ कर करने के लिए प्रेरित हों.
VIDEO : इंसानों के लायक नहीं भोजन
एक अन्य प्रश्न के जवाब में गोहेन ने कहा कि भारतीय इस्पात निगम लिमिटेड द्वारा रेलवे पटरियों की आपूर्ति में कमी के कारण सरकार ने चार लाख मीट्रिक टन पटरियों की आपूर्ति के लिए वैश्विक निविदा जारी की है.
(इनपुट भाषा से)
राज्यसभा में शुक्रवार को रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि साल 2014 से अक्टूबर 2017 के बीच दोनों प्रीमियम रेलगाड़ियों में भोजन की गुणवत्ता से जुड़ी 9804 शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं. उन्होंने कहा कि इन पर कार्रवाई करते हुए पिछले तीन साल में 3486 केटरर पर अर्थदंड लगाया गया जबकि 3624 को चेतावनी दी गई. खानपान संबंधी 10 ठेके रद्द किए गए और 1134 केटरर को उचित परामर्श जारी किया गया. गोहेन ने बताया कि 467 शिकायतें आधारहीन पाई गईं जबकि 44 में अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई.
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एक अन्य सवाल के जवाब में रेल मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि सरकार ने रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के मानकों को फिर से तय किया है. उन्होंने बताया कि स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही, राजस्व उगाही और महत्व के आधार पर स्टेशनों को फिर से श्रेणीबद्ध किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में कई स्टेशनों को पुनर्विकास के लिए चिन्हित किया गया है. स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 23 स्टेशनों का क्षेत्रीय रेलमंडलों द्वारा पुनर्विकास किया जाएगा.
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सपा के रेवती रमण सिंह द्वारा स्टेशन और रेलगाड़ियों में गंदगी का मुद्दा उठाने पर गोयल ने कहा कि रेलवे ने सफाई की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र को दी है. उन्होंने बताया कि सेवा शर्तों में निजी ठेकेदारों की जवाबदेही तय की गई है. उन्होंने सदस्यों से यात्रा संबंधी परेशानियों और शिकायतों से विभिन्न माध्यमों से मंत्रालय को अवगत कराने की अपील की जिससे इस पर यथाशीघ्र कार्रवाई की जा सके और अन्य यात्री भी सेवा संबंधी शिकायतें बढ़चढ़ कर करने के लिए प्रेरित हों.
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एक अन्य प्रश्न के जवाब में गोहेन ने कहा कि भारतीय इस्पात निगम लिमिटेड द्वारा रेलवे पटरियों की आपूर्ति में कमी के कारण सरकार ने चार लाख मीट्रिक टन पटरियों की आपूर्ति के लिए वैश्विक निविदा जारी की है.
(इनपुट भाषा से)
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