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This Article is From Feb 21, 2018

साल 2014-17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए : वित्त मंत्रालय

संसद में वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए.

साल 2014-17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए : वित्त मंत्रालय
राव इंद्रजीत सिंह. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से एक बार फिर सामने आया कि हमारी बैंकिंग व्यवस्था में निगरानी के स्तर पर कितनी खामियां हैं. साढ़े ग्यारह हज़ार करोड़ का घोटाला इतने साल से चलता रहा, लेकिन किसी को ख़बर नहीं लगी. वैसे ऐसे घोटाले के कई मामले पकड़े भी जाते रहे हैं. संसद में वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए. नीरव मोदी-मेहुल चौकसी और विक्रम कोठारी के ज़रिये जो बैंकिंग घोटाले सामने आए हैं वो बस एक बड़ा नमूना है, क्योंकि देश के कई सरकारी बैंक फ्रॉड और भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं.

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वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 2 फरवरी को लोकसभा में जो आंकड़े पेश किए उनके मुताबिक 2014-15 से 2016-17 के बीच पंजाब नेशनल बैंक में फ्रॉड के कुल 471 फ्रॉड के मामले रिकॉर्ड किए गए. 2015 से मार्च 2017 तक 184 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों के तहत कार्रवाई की गई. अगर देश के 21 सरकारी बैंकों में भष्टाचार के मामलों को देखा जाए तो 2014-15 से 2016-17 के बीच 8622 फ्रॅाड के मामले सामने आए. सरकारी बैंकों के 1146 कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए. सबसे ज़्यादा 2466 घपले सिर्फ एसबीआई में हुए.

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संसद में पेश आंकड़ों से देश में सरकारी बैंकों में भ्रष्टाचार को रोकने की मौजूदा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े होते हैं. अगर तीन साल में 8600 से ज़्यादा मामले फ्रॉड और भ्रष्टाचार के सामने आए हैं तो इससे साफ है कि भ्रष्टाचार रोकने की मौजूदा व्यवस्था में बड़े स्तर पर बदलाव की ज़रूरत है. एनडीटीवी ने जब इस बारे में योजना राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह से इस बारे में पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि भविष्य में NPAs की समस्या ना हो इसके लिए रेग्यूलेटरी मैकेनिज़म को मज़बूत करने की ज़रूरत होगी, तो उन्होंने माना कि NPAs के संकट को रोकने के लिए बैंकों को रेग्यूलेट करने की मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव ज़रूरी है.

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राव इंद्रजीत सिंह ने कहा, 'इस रैग्यूलेटरी मैकेनिज़म को दुरुस्त करने की ज़रूरत तो होगी. इस पर मंथन किया जा रहा है, सोच विचार चल रहा है. जैसे ही इस पर फैसला हो जाएगा आपके सामने पेश कर दिया जाएगा.' साफ है कि पिछले कुछ सालों में वित्त मंत्रालय और RBI ने बैंकिंग सेक्टर को संकट से बचाने के लिए जो पहल की वो नाकाम साबित हो रही है.

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