
- तेलंगाना के यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी में सरोगेसी और बच्चों की तस्करी मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया है.
- गिरफ्तार आरोपियों में एजेंट, क्लिनिक कर्मचारी और एक शिशु के जैविक माता-पिता भी शामिल हैं.
- इस मामले में आरोपियों ने पीड़ितों से 13 लाख से 44 लाख रुपये तक की भारी भरकम फीस वसूली.
सिकंदराबाद स्थित यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर में सरोगेसी और बच्चों की तस्करी के रैकेट की जांच के दौरान हैदराबाद पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आठ लोगों में एजेंट, क्लिनिक के कर्मचारी और एक शिशु के जैविक माता-पिता भी शामिल हैं. इसके बाद मुख्य आरोपी डॉ. ए नम्रता से हिरासत में पूछताछ की गई, जिन पर 80 से ज्यादा जोड़ों को धोखा देने का संदेह है. एक दंपत्ति को सरोगेसी के जरिए मिले बच्चे के जैविक रूप से उनके नहीं होने का पता चला था, जिसके बाद जांच शुरू हुई और यह अब धोखाधड़ी और जालसाजी के कई मामलों तक पहुंच गई है.
पुलिस ने अब तक आठ एफआईआर दर्ज की हैं और इस मामले में शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं. अब इस बात पर भी बहस छिड़ गई है कि क्या सरोगेट शिशुओं का यह देखने के लिए आनुवंशिक परीक्षण किया जाना चाहिए कि उनका डीएनए दत्तक माता-पिता में से किसी एक से मेल खाता है या नहीं और क्या इसे अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.
12.5 से 44 लाख रुपये की राशि वसूली
पीड़ितों से कथित तौर पर आईवीएफ और सरोगेसी के लिए 13 लाख रुपये से लेकर 44 लाख रुपये तक की भारी-भरकम फीस वसूली गई थी, जबकि ऐसा बच्चा दिया गया जिसका उनसे कोई आनुवंशिक संबंध नहीं था. कुछ मामलों में क्लिनिक कथित तौर पर पूरा भुगतान लेने के बाद भी बच्चा देने में विफल रहा.
जांच के दौरान ऐसे सबूत सामने आए हैं, जो यह बताते हैं कि डॉ. नम्रता के नेतृत्व वाले इस नेटवर्क ने पहले से पता शिशुओं से कहीं ज्यादा की तस्करी की होगी.
डिजिटल और नकद लेनदेन की भी जांच
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जांच से यह भी पता चला है कि इस रैकेट के एजेंटों का एक व्यापक नेटवर्क था, जिनमें कुछ लोग तेलंगाना के बाहर के भी थे और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सरोगेट मदर बनने या अपने शिशुओं को बेचने के लिए लुभाते थे.
साथ ही वित्तीय लेन-देन को लेकर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इस मामले में पुलिस धन के प्रवाह और संभावित टैक्स चोरी का पता लगाने के लिए डिजिटल और नकद लेनदेन की जांच कर रही है. मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की भी जांच की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि अगर इसके सबूत मिलते हैं तो वे प्रवर्तन निदेशालय को सूचित कर सकते हैं.
डॉ. नम्रता सहित पांच आरोपियों ने जमानत की अर्जी दी है और पुलिस आगे की पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लेना चाहती है.
IVF क्लीनिकों, फर्टिलिटी सेंटर्स का निरीक्षण
तेलंगाना सरकार ने राज्य के निजी आईवीएफ क्लीनिकों और फर्टिलिटी सेंटर्स का निरीक्षण करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का भी गठन किया है. समिति को सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के पालना की पुष्टि करने के लिए कहा गया है और वह दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
हिरासत में लिए गए लोगों में विशाखापत्तनम की एक चिकित्सक डॉ. विद्युलता भी शामिल हैं, जिन पर डॉ. नम्रता की करीबी सहयोगी होने, फर्जी मेडिकल नोट्स तैयार करने और अवैध प्रक्रियाओं को अंजाम देने में मदद करने का आरोप है.
डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों का किया दुरुपयोग
इस मामले में फर्जी नाम से काम करने का एक नया आरोप भी जोड़ा गया है. आरोप है कि डॉ. नम्रता ने कथित तौर पर एक 94 साल के डॉक्टर के मेडिकल लाइसेंस का इस्तेमाल उनकी जानकारी के बिना अनधिकृत प्रक्रियाओं को अंजाम देने के लिए किया था. पुलिस को संदेह है कि अन्य योग्य डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों का भी दुरुपयोग किया गया होगा, जिसके चलते एक अलग एफआईआर दर्ज की गई है.
जांच में कथित तौर पर धोखाधड़ी का एक परेशान करने वाला पैटर्न सामने आया है, जहां डॉ. नम्रता ने कथित तौर पर उन जोड़ों पर सरोगेसी का विकल्प चुनने का दबाव डाला, जबकि वे चिकित्सकीय रूप से फिट थे. आरोप है कि इसके बाद क्लिनिक गरीब परिवारों सहित अन्य माध्यमों से प्राप्त नवजात शिशुओं का इस्तेमाल करता था और उन्हें सरोगेसी कराने वाले जोड़ों के जैविक बच्चे बताकर बेच देता था.
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