सातवां वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हो चुकी हैं.
नई दिल्ली:
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) को केंद्र सरकार ने पिछले साल 29 जून को स्वीकार कर लिया था और घोषणा की थी कि यह वेतन वृद्धि 1 जनवरी 2016 से लागू होगी. लेकिन, वेतन आयोग (7वां सीपीसी) की रिपोर्ट के लागू होने के साथ ही उससे जुड़ी विसंगतियों को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों ने अपना विरोध जताया और सरकार के साथ बातचीत के लिए तीन समितियों का गठन किया गया. इनमें से एक समिति के पास भत्तों से जुड़ा मुद्दा था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वित्तमंत्री को सौंप दी है. वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी पूरा बयान -
वित्त सचिव एवं सचिव (व्यय) अशोक लवासा की अध्यक्षता में भत्तों पर गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट हाल ही में केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को सौंपी है. अब रिपोर्ट को सचिवों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखा जाएगा, ताकि कैबिनेट की मंजूरी के लिए उपयुक्त प्रस्ताव तैयार किया जा सके.
सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग (7thCPC) द्वारा भत्तों पर पेश की गई सिफारिशों पर गौर करने के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा भत्तों पर गठित की गई समिति ने अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंप दी. भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव एवं सचिव (व्यय) अशोक लवासा इस समिति के अध्यक्ष थे और गृह, रक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कार्मिक एवं प्रशिक्षण तथा डाक सचिव और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन इसके सदस्य थे, जबकि संयुक्त सचिव (क्रियान्वयन प्रकोष्ठ) इसके सदस्य सचिव थे.
सातवें वेतन आयोग द्वारा वेतन, पेंशन एवं संबंधित मुद्दों पर पेश की गई सिफारिशों को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 29 जून, 2016 को दी गई मंजूरी को ध्यान में रखते हुए यह समिति गठित की गई थी. सातवें वेतन आयोग द्वारा भत्तों के ढांचे में व्यापक बदलाव लाने की सिफारिश और कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों की ओर से पेश किये गये अनगिनत ज्ञापनों के साथ-साथ विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए यह समिति गठित करने का निर्णय लिया गया था. सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग ने यह सिफारिश की थी कि कुल 196 भत्तों में से 52 भत्तों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए और 36 भत्तों की पृथक पहचान समाप्त करते हुए उनका विलय अन्य भत्तों में कर दिया जाए.
सातवें वेतन आयोग द्वारा भत्तों पर पेश की गई सिफारिशों को लेकर विभिन्न हितधारकों की ओर से प्राप्त सभी ज्ञापनों पर समिति ने गौर किया. 70 भत्तों के संबंध में ज्ञापन एवं संशोधन के लिए मांग पत्र प्राप्त हुए, जिन पर समिति ने विस्तार से विचार-विमर्श किया है. ऐसा करते वक्त समिति ने राष्ट्रीय परिषद की स्थायी समिति (कर्मचारी पक्ष) के सभी सदस्यों, संयुक्त सलाहकार मशीनरी (जेसीएम) तथा रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों, डाक कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सों और परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रतिनिधियों से बातचीत की. समिति ने इसके साथ ही रक्षा बलों के प्रतिनिधियों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) अर्थात सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और असम राइफल्स के महानिदेशकों तथा आईबी एवं एसपीजी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी चर्चाएं कीं, ताकि उनके विचार जाने जा सकें. जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है, समिति ने कुल मिलाकर 15 बैठकें की थीं और विभिन्न ज्ञापनों पर गौर करने में अपर सचिव (व्यय विभाग) की अध्यक्षता वाले अधिकारियों के समूह ने इसकी सहायता की थी.
हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श और विभिन्न ज्ञापनों पर गौर करने के बाद समिति ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में कुछ विशेष संशोधन करने का सुझाव दिया है, ताकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के पीछे दी गई दलीलों के साथ-साथ अन्य प्रशासकीय मजबूरियों के संदर्भ में हितधारकों द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं दूर की जा सकें. ऐसे कुछ भत्तों में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है, जो सार्वभौमिक तौर पर सभी कर्मचारियों पर लागू होते हैं. इसी तरह ऐसे कुछ अन्य भत्तों में भी संशोधन करने का सुझाव दिया गया है, जो विशिष्ट श्रेणियों के कर्मचारियों जैसे कि रेल कर्मियों, डाक कर्मियों, वैज्ञानिकों, रक्षा क्षेत्र के कर्मियों, डॉक्टरों एवं नर्सों इत्यादि पर लागू होते हैं.
इस रिपोर्ट पर फिलहाल वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में विचार-विमर्श किया जा रहा है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को परखने के लिए गठित की गई सचिवों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष इस रिपोर्ट को रखा जाएगा, ताकि कैबिनेट की मंजूरी के लिए उपयुक्त प्रस्ताव तैयार किया जा सके. उल्लेखनीय है कि जहां एक ओर सातवें वेतन आयोग द्वारा वेतन एवं पेंशन पर पेश की गई सिफारिशों को कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर भत्तों का भुगतान अब भी पुरानी दरों पर ही हो रहा है.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी पूरा बयान -
वित्त सचिव एवं सचिव (व्यय) अशोक लवासा की अध्यक्षता में भत्तों पर गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट हाल ही में केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को सौंपी है. अब रिपोर्ट को सचिवों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखा जाएगा, ताकि कैबिनेट की मंजूरी के लिए उपयुक्त प्रस्ताव तैयार किया जा सके.
सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग (7thCPC) द्वारा भत्तों पर पेश की गई सिफारिशों पर गौर करने के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा भत्तों पर गठित की गई समिति ने अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंप दी. भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव एवं सचिव (व्यय) अशोक लवासा इस समिति के अध्यक्ष थे और गृह, रक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कार्मिक एवं प्रशिक्षण तथा डाक सचिव और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन इसके सदस्य थे, जबकि संयुक्त सचिव (क्रियान्वयन प्रकोष्ठ) इसके सदस्य सचिव थे.
सातवें वेतन आयोग द्वारा वेतन, पेंशन एवं संबंधित मुद्दों पर पेश की गई सिफारिशों को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 29 जून, 2016 को दी गई मंजूरी को ध्यान में रखते हुए यह समिति गठित की गई थी. सातवें वेतन आयोग द्वारा भत्तों के ढांचे में व्यापक बदलाव लाने की सिफारिश और कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों की ओर से पेश किये गये अनगिनत ज्ञापनों के साथ-साथ विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए यह समिति गठित करने का निर्णय लिया गया था. सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग ने यह सिफारिश की थी कि कुल 196 भत्तों में से 52 भत्तों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए और 36 भत्तों की पृथक पहचान समाप्त करते हुए उनका विलय अन्य भत्तों में कर दिया जाए.
सातवें वेतन आयोग द्वारा भत्तों पर पेश की गई सिफारिशों को लेकर विभिन्न हितधारकों की ओर से प्राप्त सभी ज्ञापनों पर समिति ने गौर किया. 70 भत्तों के संबंध में ज्ञापन एवं संशोधन के लिए मांग पत्र प्राप्त हुए, जिन पर समिति ने विस्तार से विचार-विमर्श किया है. ऐसा करते वक्त समिति ने राष्ट्रीय परिषद की स्थायी समिति (कर्मचारी पक्ष) के सभी सदस्यों, संयुक्त सलाहकार मशीनरी (जेसीएम) तथा रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों, डाक कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सों और परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रतिनिधियों से बातचीत की. समिति ने इसके साथ ही रक्षा बलों के प्रतिनिधियों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) अर्थात सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और असम राइफल्स के महानिदेशकों तथा आईबी एवं एसपीजी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी चर्चाएं कीं, ताकि उनके विचार जाने जा सकें. जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है, समिति ने कुल मिलाकर 15 बैठकें की थीं और विभिन्न ज्ञापनों पर गौर करने में अपर सचिव (व्यय विभाग) की अध्यक्षता वाले अधिकारियों के समूह ने इसकी सहायता की थी.
हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श और विभिन्न ज्ञापनों पर गौर करने के बाद समिति ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में कुछ विशेष संशोधन करने का सुझाव दिया है, ताकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के पीछे दी गई दलीलों के साथ-साथ अन्य प्रशासकीय मजबूरियों के संदर्भ में हितधारकों द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं दूर की जा सकें. ऐसे कुछ भत्तों में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है, जो सार्वभौमिक तौर पर सभी कर्मचारियों पर लागू होते हैं. इसी तरह ऐसे कुछ अन्य भत्तों में भी संशोधन करने का सुझाव दिया गया है, जो विशिष्ट श्रेणियों के कर्मचारियों जैसे कि रेल कर्मियों, डाक कर्मियों, वैज्ञानिकों, रक्षा क्षेत्र के कर्मियों, डॉक्टरों एवं नर्सों इत्यादि पर लागू होते हैं.
इस रिपोर्ट पर फिलहाल वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में विचार-विमर्श किया जा रहा है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को परखने के लिए गठित की गई सचिवों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष इस रिपोर्ट को रखा जाएगा, ताकि कैबिनेट की मंजूरी के लिए उपयुक्त प्रस्ताव तैयार किया जा सके. उल्लेखनीय है कि जहां एक ओर सातवें वेतन आयोग द्वारा वेतन एवं पेंशन पर पेश की गई सिफारिशों को कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर भत्तों का भुगतान अब भी पुरानी दरों पर ही हो रहा है.
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