केंद्र सरकार ने ब्लैक मनी (Black Money) पर लगाम लगाने के लिए पांच साल पहले 8 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को, नोटबंदी (Demonetisation) का ऐलान करते हुए सिस्टम से अचानक बाहर कर दिया था. लेकिन, उस दिन से 29 अक्टूबर 2021 तक प्रचलन में नोटों में मूल्य के संदर्भ में 64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में चलन में नोट (एनआईसी) 4 नवंबर, 2016 को (नोटबंदी की घोषणा के चार दिन पहले) 17.74 लाख करोड़ रुपये थे. जो 29 अक्टूबर, 2021 तक बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए. इसमें कुल वृद्धि 64 प्रतिशत की हुई है.
इससे यह भी साफ हो गया है कि नोटबंदी का दूसरा उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की कोशिशों ने नकद लेनदेन को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है.
आरबीआई के मुताबिक 30 अक्टूबर, 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य यानी एनआईसी 26.88 लाख करोड़ रुपये था. जिसमें 29 अक्टूबर, 2021 तक 2,28,963 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. 30 अक्टूबर, 2020 को एनआईसी में साल-दर-साल वृद्धि 4,57,059 करोड़ रुपये थी.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 1 नवंबर, 2019 को एनआईसी में साल-दर-साल वृद्धि 2,84,451 करोड़ रुपये थी.
वहीं, प्रचलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में 2020-21 के दौरान क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि 2019-20 के दौरान क्रमशः 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं