सुपरटेक एमेराल्ड मामले (Supertech Emerald Court Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश दिए हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया. जस्टिस चंद्रचूड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है. इस मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया. नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला बिल्कुल सही था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए. साथ ही दूसरी इमारतों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए टावर गिराए जाएं . नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद ले. जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया गया है उनको रिफंड दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि फ्लैट खरीदारों को दो महीने में पैसा रिफंड किया जाए.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा. यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है. अवैधता से सख्ती से निपटना होगा. बिल्डरों और योजनाकारों के बीच अपवित्र गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित किया जाता है जिसके वे हकदार हैं.
न्यायालय ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों का उल्लंघन है. टावरों के बीच न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के खिलाफ है. भवन निर्माण के नियमों का पालन नहीं करने से अग्नि सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन हुआ है. टावरों के निर्माण के लिए हरित क्षेत्र का उल्लंघन किया गया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि तोड़फोड़ का कार्य अपीलकर्ता द्वारा नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में अपने खर्च पर किया जाएगा. नोएडा प्राधिकरण केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों और अपने विशेषज्ञों से परामर्श करेगा. तोड़फोड़ का कार्य CBRI के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा. यदि CBRI ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो नोएडा द्वारा एक अन्य विशेषज्ञ एजेंसी को नामित किया जाएगा. विशेषज्ञों को देय शुल्क सहित तोड़फोड़ की लागत और सभी प्रासंगिक खर्च सुपरटेक द्वारा वहन किए जाएंगे. जिनका रिफंड करना है दो महीने में 12 फीसदी ब्याज के साथ रिफंड हो. अपीलकर्ता इस फैसले की प्राप्ति से एक महीने में RWA को दो करोड़ रुपये रुपये बतौर हर्जाना देगा
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक के अधिकारियों पर कार्रवाई का फैसला भी बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि सक्षम प्राधिकरण कानून के मुताबिक कानूनी कार्रवाई की इजाजत दे.
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सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि नोएडा एक्सप्रेस वे स्थित 40 मंजिला दोनों टावरों को गिराया जाए या नहीं. पांच अगस्त को अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था.
2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए थे टावरों को गिराने के आदेश
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावर गिराने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे. इसके बाद सुपरटेक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी. साथ ही NBCC को जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
आपके अंग-अंग से भ्रष्टाचार टपकता है : नोएडा प्राधिकरण को SC की फटकार
सुनवाई के दौरान बिल्डर का पक्ष लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को जमकर फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बिल्डर की भाषा बोल रहे हैं, आपके अंग-अंग से भ्रष्टाचार टपकता है. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा एक्सप्रेसवे स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट केस में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अपने अधिकारियों का बचाव करने और फ्लैट बायर्स की कमियां बताने पर की.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक से खरीददारों का पैसा लौटाने को कहा
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