भारतीय रेल में रोजाना करोड़ों लोग यात्रा करते हैं. भारतीय रेल (Indian Railways) देश की लाइफलाइन है इस बात में कोई दो राय नहीं है. हालांकि, कोरोना लाकडाउन के दौरन ये संख्या काफी कम हुई है. भारतीय रेल में शामिल मौजूदा ट्रेनें बिजली, डीजल और भाप के इंजन से चलती हैं. हालांकि, भाप से चलने वाली ट्रेनें किसी विशेष मौकों पर ही चलाई जाती है. हाल ही में, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि भारत में रोजाना औसतन 13,555 ट्रेनें चल रही हैं और इनमें से 37 फीसदी डीजल इंजनों द्वारा चलाई जा रही हैं. शेष 63 प्रतिशत बिजली के इंजनों द्वारा ढोए जाते हैं, उन्होंने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा.
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वर्ष 2019-20 के वार्षिक सांख्यिकीय विवरणों के अनुसार, चलने वाली ट्रेनों के लिए कुल डीजल और बिजली की खपत क्रमशः 2,370.55 मिलियन लीटर और 13,854.73 मिलियन KWH थी, जो प्रति दिन 6.49 मिलियन लीटर डीजल और 37.96 मिलियन KWH प्रति दिन बिजली का काम करती है. उन्होंने उल्लेख किया.भारतीय रेलवे पर "औसतन, 13,555 ट्रेनें / दिन (माल ढुलाई और यात्री दोनों) चल रही हैं, जिनमें से लगभग 63 प्रतिशत और 37 प्रतिशत ट्रेनें क्रमशः इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों द्वारा संचालित हैं," उन्होंने कहा.
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गौरतलब है कि देश में हाल के दिनों में हुए किसान आंदोलन का सबसे बड़ा क्षेत्र दिल्ली, पंजाब, हरियाणा रहा. इन इलाकों में बड़ी संख्या में किसानों ने प्रोटेस्ट किया जिसका असर रेलवे की आय पर पड़ा है और उसे भारी नुकसान हुआ है. रेलवे ने यह भी साफ किया है कि चालू वित्त वर्ष 2021 में अक्टूबर तक के दौरान रेलवे को जो कुछ भी अनुमानित नुकसान हुआ है उसके लिए अन्य संगठनों के आंदोलन के साथ-साथ किसान आंदोलन भी जिम्मेवार है. इसकी वजह से ट्रेनों का परिचालन काफी बाधित हुआ है.
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