एटीएस गुजरात पुलिस के साथ एनसीबी की संयुक्त कार्रवाई में नशीले पदार्थ बनाने वाली कई लैब्स का भंडाफोड़ हुआ है. मेफेड्रोन ड्रग्स बनाने वाली गुजरात और राजस्थान में 3 हाईटेक लैब्स से करीब 300 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद हुई है. अभी एक जगह छापेमारी चल रही है, जिससे और भी ड्रग्स बरामद होने की उम्मीद है. रात भर की मल्टीस्टेट कार्रवाई में 149 किलो मेफेड्रोन (पाउडर और तरल रूप में), 50 किलो एफेड्रिन और 200 लीटर एसीटोन जब्त किया गया. अब तक 7 लोग गिरफ्तार किए गए हैं और इसके मास्टरमाइंड की पहचान हो गई है.
3 महीने तक हुई निगरानी
एनसीबी के मुताबिक, एटीएस गुजरात पुलिस को गुजरात और राजस्थान में गुपचुप तरीके से मेफेड्रोन बनाने वाली लैब्स के बारे पता चला. इन लैब्स का भंडाफोड़ करने के लिए एटीएस गुजरात पुलिस और एनसीबी मुख्यालय ऑपरेशंस यूनिट की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया था. 3 महीने से अधिक समय तक चले एक ऑपरेशन में, इस नेटवर्क में शामिल व्यक्तियों के साथ-साथ गुप्त प्रयोगशालाओं के स्थानों की पहचान करने के लिए गहन तकनीकी और जमीनी निगरानी की गई.
ऐसे हुआ ऐक्शन
27 अप्रैल को करीब 4 बजे एटीएस गुजरात पुलिस और एनसीबी (मुख्यालय संचालन इकाई, एनसीबी जोधपुर जोन और एनसीबी अहमदाबाद जोन) की संयुक्त टीमों द्वारा राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल, ओसियां पर एक साथ छापेमारी की गई. जोधपुर जिला राजस्थान और गांधीनगर जिला गुजरात में कुल 149 किलोग्राम मेफेड्रोन (पाउडर और तरल रूप में), 50 किलोग्राम एफेड्रिन और 200 लीटर एसीटोन की बरामदगी हुई और अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. गांधीनगर में पकड़े गए लोगों से पूछताछ के आधार पर अमरेली (गुजरात) में एक और जगह की पहचान की गई है, जहां छापेमारी जारी है और अधिक ड्रग्स बरामदगी की उम्मीद है.
सरगना की हुई पहचान
एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर ऑपरेशंस ज्ञानेश्वर सिंह के मुताबिक इस नेटवर्क के सरगना की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. मेफेड्रोन, जिसे 4-मिथाइलमेथकैथिनोन, 4-एमएमसी और 4-मिथाइलफेड्रोन के रूप में भी जाना जाता है, एम्फ़ैटेमिन और कैथिनोन ग्रुप की एक सिंथेटिक उत्तेजक ड्रग है.नशे की दुनिया में इसे ड्रोन, एम-कैट, व्हाइट मैजिक, "म्याऊं म्याऊं" और बबल भी कहते हैं.
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