मालेगांव में हुए धमाके के घटनास्थल का दृश्य (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सन 2008 के मालेगांव धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को रिहाई मिलेगी या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। पुरोहित की रिहाई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। जेल में बंद पुरोहित ने अपनी न्यायिक हिरासत को अवैध बताते हुए कहा है कि एनआईए छह साल से इस केस में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। ऐसे मे उन्हें हिरासत में रखना अवैध तो है ही, उसके अधिकारों का हनन भी है।
जेल में रखना गैरकानूनी
पुरोहित ने अपनी याचिका में कहा है कि 2011 में केंद्र ने मालेगांव मामले की जांच एटीएस से लेकर एनआईए को सौंपी थी। लेकिन एनआईए न तो मामले की जांच आगे बढ़ा पा रही है और न ही यह तय कर पा रही है कि इस मामले में मकोका के प्रावधान को हटाया जाए या नहीं। यहां तक कि उसने चार्जशीट दाखिल करने के 180 दिन के वक्त को कोर्ट में आगे बढ़ाने की न तो अर्जी दी है, न फाइनल रिपोर्ट दी है। उसने एक भी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी दाखिल नहीं की है। वैसे भी अब एटीएस मामले की जांच एजेंसी नहीं है, जिसने उन्हें गिरफ्तार किया था। वे पिछले सात साल से जेल में बंद हैं और ऐसे में उनको जेल में रखना गैरकानूनी है।
मकोका साबित करने वाले सबूत नहीं
दरअसल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले में अभी ऐसे सबूत नहीं दिख रहे हैं जिससे मकोका साबित होता हो। ऐसे में निचली अदालत मकोका प्रावधान के बिना जमानत याचिका पर सुनवाई करे। मालेगांव धमाके में पुरोहित के अलावा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और नौ अन्य आरोपी हैं। पुरोहित पर आरोप है कि उन्होंने सेना का 60 किलो आरडीएक्स चुराया और धमाकों में भूमिका निभाई। वे अभिनव भारत संगठन के लिए साजिश में शामिल हुए। मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ जख्मी हुए थे।
जेल में रखना गैरकानूनी
पुरोहित ने अपनी याचिका में कहा है कि 2011 में केंद्र ने मालेगांव मामले की जांच एटीएस से लेकर एनआईए को सौंपी थी। लेकिन एनआईए न तो मामले की जांच आगे बढ़ा पा रही है और न ही यह तय कर पा रही है कि इस मामले में मकोका के प्रावधान को हटाया जाए या नहीं। यहां तक कि उसने चार्जशीट दाखिल करने के 180 दिन के वक्त को कोर्ट में आगे बढ़ाने की न तो अर्जी दी है, न फाइनल रिपोर्ट दी है। उसने एक भी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी दाखिल नहीं की है। वैसे भी अब एटीएस मामले की जांच एजेंसी नहीं है, जिसने उन्हें गिरफ्तार किया था। वे पिछले सात साल से जेल में बंद हैं और ऐसे में उनको जेल में रखना गैरकानूनी है।
मकोका साबित करने वाले सबूत नहीं
दरअसल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले में अभी ऐसे सबूत नहीं दिख रहे हैं जिससे मकोका साबित होता हो। ऐसे में निचली अदालत मकोका प्रावधान के बिना जमानत याचिका पर सुनवाई करे। मालेगांव धमाके में पुरोहित के अलावा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और नौ अन्य आरोपी हैं। पुरोहित पर आरोप है कि उन्होंने सेना का 60 किलो आरडीएक्स चुराया और धमाकों में भूमिका निभाई। वे अभिनव भारत संगठन के लिए साजिश में शामिल हुए। मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ जख्मी हुए थे।
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