नए संसद भवन मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
नई दिल्ली:
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर विपक्ष एक बार फिर से मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने लगा है. कम से कम 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. विपक्ष के दलों ने बुधवार को एक संयुक्त बयान में इस बहिष्कार की जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही खींच लिया गया हो, ऐसे में हमें नई इमारत की कोई कीमत नजर नहीं आती है.' वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- 'विपक्ष नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को राजनीति से न जोड़ें. हमने सबको आमंत्रित किया है. हमारी इच्छा है कि सभी इस कार्यक्रम में हिस्सा लें.'
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. विपक्ष इसी को लेकर नाराज है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं.
- कांग्रेस, आम आदमी पार्टी(AAP),तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK),लेफ्ट, राष्ट्रीय जनता दल(RJD),जनता दल-यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और अन्य दलों ने बुधवार को कहा कि वे नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का हिस्सा नहीं बनेंगे. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है.
- बुधवार को ही गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नए संसद भवन को 60 हजार श्रमयोगियों ने रिकॉर्ड समय में बनाया है. इसलिए पीएम मोदी इस मौके पर सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे. विपक्ष के बहिष्कार पर अमित शाह ने कहा, "इसे राजनीति से ना जोड़ें. राजनीति तो चलती रहती है. हमने सबको आमंत्रित किया है. हमारी इच्छा है कि सभी इस कार्यक्रम में हिस्सा लें."
- नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर रहे कुछ दलों और नेताओं ने हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर की जयंती पर कार्यक्रम के आयोजन की भी आलोचना की है. कांग्रेस ने कहा- '28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है. इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है.'
- 21 मई को राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा था- 'संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं.' इसके बाद कई और नेताओं ने नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा किए जाने पर आपत्ति जाहिर की.
- इसके बाद 22 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ना बुलाए जाने पर सवाल उठाए. उन्होंने ट्वीट किया- 'ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति बनाती है.'
- खरगे ने कहा, '28 मई को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया है. वे देश की पहली नागरिक हैं. अगर वे नए संसद भवन का उद्घाटन करतीं तो ये लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार के कमिटमेंट को दिखाता.'
- इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह ने कहा, 'AAP भी उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेगी, क्योंकि पीएम ने राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया.' सीपीआई नेता डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी.
- संजय राउत ने कहा- "हमारी संसद ऐतिहासिक है. यह अभी सौ साल चल सकती है. इसे बनाने में आरएसएस और बीजेपी का कोई हाथ नहीं है. अब नई इमारत बनाकर उसमें शिला लगाई जाएगी कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया है. इसी के लिए इतना खर्चा हो रहा है. चलो ये भी ठीक है.
- भारत का वर्तमान संसद भवन 1927 में ब्रिटिश शासन के तहत बनाया गया था और यह बहुत छोटा हो गया है. दिसंबर 2020 में नए भवन की आधारशिला रखते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि यह "आत्मनिर्भर भारत" का एक आंतरिक हिस्सा होगा. नए संसद भवन के निचले सदन यानी लोकसभा में 888 सदस्यों और ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में 300 सदस्यों को समायोजित किया जा सकेगा. नया संसद भवन मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है.