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This Article is From Jul 14, 2013

163 साल पुरानी तार सेवा आज के बाद सदा के लिए बंद...

नई दिल्ली: कभी लाखों लोगों से संवाद का सबसे तेज माध्यम कहलाने वाली टेलीग्राम सेवा बिना किसी शोरशराबे के इस वादे के साथ बंद हो रही है कि अंतिम टेलीग्राम को संग्रहालय में संरक्षित कर रखा जाएगा।

एसएमएस, ईमेल, मोबाइल फोन की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की चमक के आगे फीकी पड़ गई टेलीग्राम सेवा धीरे-धीरे अप्रासंगिक सी हो गई थी। इसकी शुरुआत वर्ष 1850 में कोलकाता और डायमंड हार्बर में प्रायोगिक तौर पर की गई थी। अगले साल ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसका खूब उपयोग किया था। वर्ष 1854 में यह सेवा जनता के लिए उपलब्ध करा दी गई।

उन दिनों यह संचार का इतना महत्वपूर्ण माध्यम था कि देश की आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी अंग्रेजों को संचार से वंचित करने के लिए टेलीग्राम लाइनें ही काट डालते थे। बुजुर्गों को अब भी याद है कि टेलीग्राम के मिलने पर अजीब सी अनुभूति होती थी। टेलीग्राम मिलने पर लोग अपनों की खैरियत को लेकर मन ही मन आशंकित हो उठते थे। यह बात दीगर है कि टेलीग्राम कई बार अच्छी खबर भी लेकर आता था। जवानों या सशस्त्र बलों को छुट्टी मांगना हो, तबादले का इंतजार करना हो या जॉइनिंग रिपोर्ट की प्रतीक्षा हो, संचार के इस 'हैंडी मोड' टेलीग्राम से फौरन सूचना मिल जाती थी।

वकीलों के लिए टेलीग्राम खास होता था, क्योंकि इसका पंजीकरण 'इंडियन एविडेन्स एक्ट' के तहत हुआ था और यह अदालत में पेश किए जाने पर अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता था। इस सेवा को अमर बनाने में बॉलीवुड भी पीछे नहीं रहा। कई फिल्मों में कथानक को अचानक नाटकीय मोड़ लेता दिखाने के लिए 'तार' की मदद ली गई।

भारत में गांवों के दूरदराज के हिस्सों में यह सेवा अब भी उपयोगी है, लेकिन संचार की नई प्रौद्योगिकियों के आगे टेलीग्राम सेवा हाशिये पर चली गई। बीएसएनएल के सीएमडी आरके उपाध्याय ने बताया,  यह सेवा बस रविवार सुबह 8 बजे शुरू होकर रात 9 बजे बंद हो जाएगी। सोमवार से यह सेवा उपलब्ध नहीं होगी। सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने लगातार बढ़ते राजस्व घाटे के कारण टेलीग्राम सेवा बंद करने का फैसला किया। इस सेवा से सालाना करीब 75 लाख रुपये की आय हुई, जबकि इसके संचालन और प्रबंधन का खर्च 100 करोड़ रुपये से अधिक है।

दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने बीते माह कहा था, हम बहुत गर्मजोशी के साथ इसकी विदाई करेंगे और शायद आखिरी भेजा गया टेलीग्राम संग्रहालय में रखा जाएगा। इस तरह हम इसे विदाई देंगे। देश भर में 75 टेलीग्राम केंद्र हैं, जिनमें कर्मचारियों की संख्या 1,000 से भी कम है। इन कर्मचारियों को बीएसएनएल अपनी सेवा में ले लेगा और उन्हें मोबाइल सेवाओं, लैंडलाइन टेलीफोन तथा ब्रॉडबैंड सेवाओं में तैनात किया जाएगा।

राजस्व में आ रही कमी की वजह से सरकार ने 60 साल के अंतराल के बाद मई, 2011 में टेलीग्राम दरों की समीक्षा की थी और इनलैंड टेलीग्राम सेवा शुल्क बढ़ाकर 27 रुपये प्रति 50 शब्द कर दिया गया। टेलीग्राम सेवा की जिम्मेदारी बीएसएनएल के पास 1990 के दशक में आई, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम और डाक विभाग के बीच दरार आ गई थी।

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