नई दिल्ली:
उत्तरी त्रिपुरा में पुलिस ने 150 से अधिक हथगोले बरामद किए हैं, जिन्हें जमीन में गाड़कर छिपाया गया था. सेना के विशेषज्ञों ने सभी हथगोलों को निष्क्रिय कर दिया है. पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने पिछले सप्ताह उत्तरी त्रिपुरा के गौरनगर में जमीन में गाड़कर छिपाए गए 151 हथगोलों को बरामद कर लिया.
उत्तरी त्रिपुरा के उनोकोटि जिले के पुलिस प्रमुख अजीत प्रताप सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "मासिमपुर (दक्षिणी असम में सिलचर के निकट) स्थित सेना के डिविजनल मुख्यालय के विशेषज्ञ शुक्रवार को आए और उन्होंने सभी हथगोलों को निष्क्रिय कर दिया."
उन्होंने कहा कि गौरनगर में केंद्रीय विद्यालय के निकट खेल रहे छात्रों की नजर इन हथगोलों पर पड़ी, जिसके बाद उन्होंने लोगों को इसकी जानकारी दी, जिन्होंने पुलिस को इस बारे में सूचित किया। सूचना मिलने के तुरंत बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और उसने जमीन खोदकर हथगोलों को बाहर निकाला.
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हो सकता कि इन हथगोलों को सन् 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान छिपाया गया होगा.
इतिहासकार विकच चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान त्रिपुरा में छह से सात सेक्टर थे, जहां प्रशिक्षण लेने के बाद बांग्लादेशी मुक्ति योद्धाओं (स्वतंत्रता सेनानी) ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.
उन्होंने कहा, "16 लाख से अधिक बांग्लादेशियों ने अकेले त्रिपुरा में शरण ली थी."
नौ महीने तक चला मुक्ति संग्राम बाद में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध में तब्दील हो गया था, जिसके बाद 16 दिसंबर, 1971 में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने ढाका में समर्पण कर दिया था. बांग्लादेश की 856 किलोमीटर लंबी सीमा त्रिपुरा से लगी हुई है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उत्तरी त्रिपुरा के उनोकोटि जिले के पुलिस प्रमुख अजीत प्रताप सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "मासिमपुर (दक्षिणी असम में सिलचर के निकट) स्थित सेना के डिविजनल मुख्यालय के विशेषज्ञ शुक्रवार को आए और उन्होंने सभी हथगोलों को निष्क्रिय कर दिया."
उन्होंने कहा कि गौरनगर में केंद्रीय विद्यालय के निकट खेल रहे छात्रों की नजर इन हथगोलों पर पड़ी, जिसके बाद उन्होंने लोगों को इसकी जानकारी दी, जिन्होंने पुलिस को इस बारे में सूचित किया। सूचना मिलने के तुरंत बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और उसने जमीन खोदकर हथगोलों को बाहर निकाला.
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हो सकता कि इन हथगोलों को सन् 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान छिपाया गया होगा.
इतिहासकार विकच चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान त्रिपुरा में छह से सात सेक्टर थे, जहां प्रशिक्षण लेने के बाद बांग्लादेशी मुक्ति योद्धाओं (स्वतंत्रता सेनानी) ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.
उन्होंने कहा, "16 लाख से अधिक बांग्लादेशियों ने अकेले त्रिपुरा में शरण ली थी."
नौ महीने तक चला मुक्ति संग्राम बाद में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध में तब्दील हो गया था, जिसके बाद 16 दिसंबर, 1971 में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने ढाका में समर्पण कर दिया था. बांग्लादेश की 856 किलोमीटर लंबी सीमा त्रिपुरा से लगी हुई है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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