आंध्र प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को मुख्य विपक्षी दल तेलुगू देसम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू समेत पार्टी के 14 सदस्यों को अध्यक्ष के आसन के सामने धरना प्रदर्शन करने पर एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया. पहली बार चंद्रबाबू नायडू अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ सदन में जमीन पर बैठे जिसके बाद मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पहले विपक्ष के किसी नेता ने सदन में ऐसा व्यवहार नहीं किया. तेदेपा नेता, सत्ताधारी दल वाईएसआर कांग्रेस के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे.
उनका कहना था कि उन्हें किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि समेत अन्य मुद्दों पर बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है. कृषि मंत्री के. कन्ना बाबू द्वारा सदन में एक बयान देने के बाद हुई चर्चा के दौरान हंगामा हुआ. तेदेपा नेता एन. रामानायडू को बाद में बोलने की अनुमति दी गई लेकिन उन्हें भी विरोध झेलना पड़ा. रामानायडू की आलोचना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तेदेपा के नेता सदन में अभद्र आचरण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तेदेपा नेता, मुद्दे को समझे बिना बोल रहे हैं. रेड्डी ने कहा कहा कि सरकार दिसंबर के अंत तक किसानों को सब्सिडी देने के लिए प्रतिबद्ध है.
चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहा लेकिन उन्हें अवसर नहीं दिया गया. वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने तेदेपा अध्यक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया जिसके बाद विपक्षी दल के नेता अध्यक्ष के आसन के सामने धरने पर बैठ गए. अध्यक्ष टी. सीताराम ने नाराज विधायकों से अपनी सीट पर जाने का आग्रह नहीं लेकिन वे नहीं माने. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री बी राजेन्द्रनाथ ने तेदेपा विधायकों को एक दिन के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इसके बाद चंद्रबाबू नायडू ने अपने विधायकों के साथ सदन के प्रवेश द्वार के पास धरना दिया.
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