आइडिया के डायरेक्टर मुजीब खान
नई दिल्ली:
कितने आश्चर्य की बात है, सौ साल पहले प्रेमचंद बनारस के पास छोटे से गांव लमही में रहकर भी इटली और स्पेन की बात कर रहे थे, उनको लेकर कहानियां लिख रहे थे। 'लिव इन रिलेशन' जैसे संबंध आज के दौर में सामने आए हैं, लेकिन प्रेमचंद ने तो उस जमाने में जब 'गौना' के बगैर पति-पत्नी आपस मे मिल भी नहीं सकते थे, 'मिस पद्मा' जैसी कहानी लिखी जिसका विषय 'लिव इन रिलेशन' है। यह कहना है मुंबई में पिछले दस साल से प्रेमचंद की कहानियों के नाट्य रूपांतरणों का मंचन कर रहे रंगकर्मी मुजीब खान का।
मुजीब खान कहते हैं कि प्रेमचंद की रचनाएं कभी भी कालातीत नहीं हो सकतीं क्योंकि उनके चरित्र आज भी देखने को मिलते हैं, वह चाहे 'दो भाई' का बेईमान भाई हो या फिर 'पंच परमेश्वर' के अलगू चौधरी और जुम्मन शेख हों, समाज में आज भी वह सभी हैं. आज कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याएं बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आ रही हैं। प्रेमचंद ने सौ साल पहले कहानी 'सवा सेर गेहूं' में इसे विषय बनाया था। देश में चाहे पानी की समस्या हो या फिर जातीय विद्वेष, प्रेमचंद की 'ठाकुर का कुआ' और इस जैसी अन्य कहानियों में यह सब देखने को मिल जाता है।
विश्व स्तरीय लेखक भारत के लिए 'रत्न' नहीं !
एक ही लेखक प्रेमचंद की 311 कहानियों के मंचन का कीर्तिमान 'लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स' में दर्ज करा चुके मुजीब खान कहते हैं कि प्रेमचंद की अस्सी फीसदी कहानियां आज के हिंदुस्तान की कहानियां हैं। शेक्सिपयर, टालस्टाय या फिर चेखव, हमारे प्रेमचंद इन विश्वविख्यात रचनाकारों से कहीं भी कम नहीं हैं लेकिन उन्हें आज तक भारत-रत्न का सम्मान नहीं दिया गया।
मुजीब खान कहते हैं कि प्रेमचंद की रचनाएं कभी भी कालातीत नहीं हो सकतीं क्योंकि उनके चरित्र आज भी देखने को मिलते हैं, वह चाहे 'दो भाई' का बेईमान भाई हो या फिर 'पंच परमेश्वर' के अलगू चौधरी और जुम्मन शेख हों, समाज में आज भी वह सभी हैं. आज कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याएं बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आ रही हैं। प्रेमचंद ने सौ साल पहले कहानी 'सवा सेर गेहूं' में इसे विषय बनाया था। देश में चाहे पानी की समस्या हो या फिर जातीय विद्वेष, प्रेमचंद की 'ठाकुर का कुआ' और इस जैसी अन्य कहानियों में यह सब देखने को मिल जाता है।
विश्व स्तरीय लेखक भारत के लिए 'रत्न' नहीं !
एक ही लेखक प्रेमचंद की 311 कहानियों के मंचन का कीर्तिमान 'लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स' में दर्ज करा चुके मुजीब खान कहते हैं कि प्रेमचंद की अस्सी फीसदी कहानियां आज के हिंदुस्तान की कहानियां हैं। शेक्सिपयर, टालस्टाय या फिर चेखव, हमारे प्रेमचंद इन विश्वविख्यात रचनाकारों से कहीं भी कम नहीं हैं लेकिन उन्हें आज तक भारत-रत्न का सम्मान नहीं दिया गया।
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