Munshi Premchand
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उपन्यास सम्राट 'प्रेमचंद्र' : हिंदी साहित्य में विशेष योगदान पर 'कलम के जादूगर' के नाम से पहचाना गया एक युग
- Thursday July 31, 2025
- Indo-Asian News Service
उनकी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत काशी की धरती से ही हुई और वहीं से उन्होंने अपनी साहित्य साधना की शुरुआत भी की. बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने मुंशी प्रेमचंद्र को 'उपन्यास सम्राट' की उपाधि दी.
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Premchand Jayanti: महिलाओं पर विवादास्पद टिप्पणियों के दौर में जानिए स्त्री को लेकर क्या सोचते थे प्रेमचंद
- Thursday July 31, 2025
प्रेमचंद ने स्त्री के विविध आयामों को उसकी सहनशीलता, त्याग, स्वाभिमान, सेवा-भावना, मातृत्व और आत्मसम्मान को रेखांकित किया है, साथ ही पुरुष प्रधान समाज की सीमाओं पर भी प्रश्न उठाए हैं.
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गीता प्रेस और मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली गोरखपुर में सालों से बज रहा है बीजेपी का डंका
- Tuesday February 27, 2024
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देखनी पड़ी थी. सपा के प्रवीण निषाद ने बीजेपी को हरा दिया. इसके बाद एक बार फिर 2019 में जनता ने बीजेपी की वापसी करते हुए रवि किशन को विजयी बनाया.
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Munshi Premchand: खुद भी पढ़िए और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं मुंशी प्रेमचंद की ये 5 कहानियां
- Tuesday October 8, 2019
हिंदी साहित्य को नई उचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को मनाई जाती है. साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. प्रेमचंद को उपन्यास के सम्राट माने जाते हैं. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद की कई कहानियां ग्रामीण भारत पर हैं. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से किसानों की हालत का वर्णन किया.
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आज भी उपेक्षा का शिकार हैं मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव
- Friday August 2, 2019
अब पूरे साल उन्हें सभी उनके हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार हैं और जो कुछ बना भी है, वह बस यूं ही खड़ा है, बिना किसी काम के.
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उत्तर प्रदेश : लमही गांव में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनके प्रति बरसा एक दिन का प्यार
- Thursday August 1, 2019
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
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मुंशी प्रेमचंद के पैतृक घर को मिली बिजली, आपूर्ति रोके जाने पर हो गया था विवाद
- Tuesday July 30, 2019
- Bhasha
उत्तरप्रदेश विद्युत निगम ने वाराणसी के बाहरी इलाके में लमही में स्थित महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के पैतृक मकान में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी है. दरअसल, लेखक की 139 वीं जयंती के कुछ दिन पहले पिछले सप्ताह उनके मकान की बिजली आपूर्ति रोके जाने से विवाद पैदा हो गया था. हालांकि, वराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इससे इनकार किया कि महान कथाकार के पैतृक गांव में मकान की बिजली आपूर्ति रोक दी गई थी.
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.....और ढहा दिया गया मुंशी प्रेमचंद का 'घर'
- Monday December 19, 2016
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने जिस किराए के घर में कथा संसार रचा, सहेजने की बजाय प्रशासन ने लोगों के लिए 'खतरा' बताकर उसे चंद समय में ढाह दिया और समाज का पहरुआ बनने का ढोंग करने वाले सिर्फ तमाशबीन बने रहे.
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प्रेमचंद की इस नायिका ने मारा था दहेज लोभी पति के चेहरे पर तमाचा...!
- Saturday October 8, 2016
- NDTV
उपन्यासकार प्रेमचन्द ने कई महान कृतिया दी हैं. जिनमें से एक है 'निर्मला'. निर्मला का का निर्माण काल 1923 ई. और प्रकाशन का समय 1927 ई. है. प्रेमचन्द्र के उन उपन्यासों में निर्मला बहुत आगे माना जाता है जिन्होंने साहित्य के मानक स्थापित किए. इस उपन्यास में प्रेमचंद ने समाज में औरत के स्त्री और उसकी दशा का चित्रण पेश किया है.
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प्रेमचंद की कहानी: पूस की रात
- Friday October 7, 2016
- NDTV
प्रेमचंद की कहानी: पूस की रात कथा सम्राट प्रेमचंद ने हिन्दी के खजाने में कई अनमोल रत्न जोड़े हैं. प्रेमचंद का लेखन और उनकी रचानाएं जितनी प्रासंगिक उस समय में थीं, जब वह रची गईं, उतनी ही आज भी हैं. प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियों में किसानों, मजदूरों और वर्ग में बंटे हुए समाज का मार्मिक चित्रण हैं.
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आत्मकथा : महात्मा गांधी के दर्शन के दो दिन बाद ही प्रेमचंद ने छोड़ दी थी 20 साल पुरानी नौकरी
- Thursday August 4, 2016
- NDTVKhabar.com team
ऐसा समारोह मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था. महात्माजी के दर्शनों का यह प्रताप था, कि मुझ जैसा मरा आदमी भी चेत उठा. उसके दो ही चार दिन बाद मैंने अपनी बीस साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
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प्रेमचंद एक सदी बीत जाने के बाद भी उतने ही प्रासंगिक हैं : गुलजार
- Sunday July 31, 2016
- Bhasha
साहित्य के साथ गुलजार के रिश्ते में मुंशी प्रेमचंद का सबसे अधिक प्रभाव रहा है और प्रख्यात कवि-गीतकार का मानना है कि एक सदी बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद की कृतियों ने अपनी प्रासंगिकता नहीं गंवाई है.
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प्रेमचंद@135 : बेहतर तो होता कि आज आप प्रासंगिक न होते
- Friday July 31, 2015
- Reported by Ajay Singh, Edited by Suryakant Pathak
देश का मीडिया मुंबई बम काण्ड के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर बहस मुबाहिसों में फंसा हुआ है। उसके पास उस सामाजिक सरोकार के लिए उतना समय नहीं है, जिसे मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कथावस्तु बनाया था।
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प्रेमचंद@135 : समय से कितने आगे थे, 'लिव इन' पर एक सदी पहले ही लिख चुके थे
- Friday July 31, 2015
- Reported by Suryakant Pathak
'लिव इन रिलेशन' जैसे संबंध आज के दौर में सामने आए हैं, लेकिन प्रेमचंद ने तो उस जमाने में जब 'गौना' के बगैर पति-पत्नी आपस मे मिल भी नहीं सकते थे, 'मिस पद्मा' जैसी कहानी लिखी जिसका विषय 'लिव इन रिलेशन' है।
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उपन्यास सम्राट 'प्रेमचंद्र' : हिंदी साहित्य में विशेष योगदान पर 'कलम के जादूगर' के नाम से पहचाना गया एक युग
- Thursday July 31, 2025
- Indo-Asian News Service
उनकी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत काशी की धरती से ही हुई और वहीं से उन्होंने अपनी साहित्य साधना की शुरुआत भी की. बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने मुंशी प्रेमचंद्र को 'उपन्यास सम्राट' की उपाधि दी.
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Premchand Jayanti: महिलाओं पर विवादास्पद टिप्पणियों के दौर में जानिए स्त्री को लेकर क्या सोचते थे प्रेमचंद
- Thursday July 31, 2025
प्रेमचंद ने स्त्री के विविध आयामों को उसकी सहनशीलता, त्याग, स्वाभिमान, सेवा-भावना, मातृत्व और आत्मसम्मान को रेखांकित किया है, साथ ही पुरुष प्रधान समाज की सीमाओं पर भी प्रश्न उठाए हैं.
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गीता प्रेस और मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली गोरखपुर में सालों से बज रहा है बीजेपी का डंका
- Tuesday February 27, 2024
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देखनी पड़ी थी. सपा के प्रवीण निषाद ने बीजेपी को हरा दिया. इसके बाद एक बार फिर 2019 में जनता ने बीजेपी की वापसी करते हुए रवि किशन को विजयी बनाया.
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Munshi Premchand: खुद भी पढ़िए और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं मुंशी प्रेमचंद की ये 5 कहानियां
- Tuesday October 8, 2019
हिंदी साहित्य को नई उचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को मनाई जाती है. साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. प्रेमचंद को उपन्यास के सम्राट माने जाते हैं. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद की कई कहानियां ग्रामीण भारत पर हैं. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से किसानों की हालत का वर्णन किया.
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आज भी उपेक्षा का शिकार हैं मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव
- Friday August 2, 2019
अब पूरे साल उन्हें सभी उनके हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार हैं और जो कुछ बना भी है, वह बस यूं ही खड़ा है, बिना किसी काम के.
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उत्तर प्रदेश : लमही गांव में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनके प्रति बरसा एक दिन का प्यार
- Thursday August 1, 2019
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
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मुंशी प्रेमचंद के पैतृक घर को मिली बिजली, आपूर्ति रोके जाने पर हो गया था विवाद
- Tuesday July 30, 2019
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उत्तरप्रदेश विद्युत निगम ने वाराणसी के बाहरी इलाके में लमही में स्थित महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के पैतृक मकान में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी है. दरअसल, लेखक की 139 वीं जयंती के कुछ दिन पहले पिछले सप्ताह उनके मकान की बिजली आपूर्ति रोके जाने से विवाद पैदा हो गया था. हालांकि, वराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इससे इनकार किया कि महान कथाकार के पैतृक गांव में मकान की बिजली आपूर्ति रोक दी गई थी.
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.....और ढहा दिया गया मुंशी प्रेमचंद का 'घर'
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कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने जिस किराए के घर में कथा संसार रचा, सहेजने की बजाय प्रशासन ने लोगों के लिए 'खतरा' बताकर उसे चंद समय में ढाह दिया और समाज का पहरुआ बनने का ढोंग करने वाले सिर्फ तमाशबीन बने रहे.
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प्रेमचंद की इस नायिका ने मारा था दहेज लोभी पति के चेहरे पर तमाचा...!
- Saturday October 8, 2016
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उपन्यासकार प्रेमचन्द ने कई महान कृतिया दी हैं. जिनमें से एक है 'निर्मला'. निर्मला का का निर्माण काल 1923 ई. और प्रकाशन का समय 1927 ई. है. प्रेमचन्द्र के उन उपन्यासों में निर्मला बहुत आगे माना जाता है जिन्होंने साहित्य के मानक स्थापित किए. इस उपन्यास में प्रेमचंद ने समाज में औरत के स्त्री और उसकी दशा का चित्रण पेश किया है.
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प्रेमचंद की कहानी: पूस की रात
- Friday October 7, 2016
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प्रेमचंद की कहानी: पूस की रात कथा सम्राट प्रेमचंद ने हिन्दी के खजाने में कई अनमोल रत्न जोड़े हैं. प्रेमचंद का लेखन और उनकी रचानाएं जितनी प्रासंगिक उस समय में थीं, जब वह रची गईं, उतनी ही आज भी हैं. प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियों में किसानों, मजदूरों और वर्ग में बंटे हुए समाज का मार्मिक चित्रण हैं.
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आत्मकथा : महात्मा गांधी के दर्शन के दो दिन बाद ही प्रेमचंद ने छोड़ दी थी 20 साल पुरानी नौकरी
- Thursday August 4, 2016
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ऐसा समारोह मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था. महात्माजी के दर्शनों का यह प्रताप था, कि मुझ जैसा मरा आदमी भी चेत उठा. उसके दो ही चार दिन बाद मैंने अपनी बीस साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
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प्रेमचंद एक सदी बीत जाने के बाद भी उतने ही प्रासंगिक हैं : गुलजार
- Sunday July 31, 2016
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साहित्य के साथ गुलजार के रिश्ते में मुंशी प्रेमचंद का सबसे अधिक प्रभाव रहा है और प्रख्यात कवि-गीतकार का मानना है कि एक सदी बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद की कृतियों ने अपनी प्रासंगिकता नहीं गंवाई है.
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प्रेमचंद@135 : बेहतर तो होता कि आज आप प्रासंगिक न होते
- Friday July 31, 2015
- Reported by Ajay Singh, Edited by Suryakant Pathak
देश का मीडिया मुंबई बम काण्ड के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर बहस मुबाहिसों में फंसा हुआ है। उसके पास उस सामाजिक सरोकार के लिए उतना समय नहीं है, जिसे मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कथावस्तु बनाया था।
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प्रेमचंद@135 : समय से कितने आगे थे, 'लिव इन' पर एक सदी पहले ही लिख चुके थे
- Friday July 31, 2015
- Reported by Suryakant Pathak
'लिव इन रिलेशन' जैसे संबंध आज के दौर में सामने आए हैं, लेकिन प्रेमचंद ने तो उस जमाने में जब 'गौना' के बगैर पति-पत्नी आपस मे मिल भी नहीं सकते थे, 'मिस पद्मा' जैसी कहानी लिखी जिसका विषय 'लिव इन रिलेशन' है।
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