यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्रालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर निशाना साधा है. लेकिन क्या सिर्फ अरुण जेटली पर उनका निशाना है या फिर किसी और पर. यानी कहीं पे निगाहें हैं और निशाना किसी और पर? यशवंत सिन्हा ने एक अखबार में लेख लिखा है कि वे अब और चुप नहीं रहेंगे. उन्होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार आर्थिक मोर्च पर पूरी तरह नाकाम रही है. इसकी वजह बताते हुए वे कहते हैं कि निजी क्षेत्र का देश में निवेश लगभग ठप हो गया है. लोग कम लोन ले रहे हैं और कम निवेश कर रहे हैं. बाजार में मांग नहीं होने की वजह से नया निवेश नहीं हो पा रहा है.
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दूसरी वजह बताते हुए वे कहते हैं कि इस समय खेती एक बड़े संकट से जूझ रही है. सरकार दावा तो करती है कि खेती में हर साल रिकॉर्ड उत्पदान हो रहा है, लेकिन इस रिकॉर्ड उत्पादन का एक गरीब किसान को क्या मिल रहा है. पूर्व वित्त मंत्री का आरोप है कि निर्माण क्षेत्र अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. यहां एक बड़ी आबादी को रोजगार मिलता है, लेकिन नोटबंदी के कारण निर्माण क्षेत्र बिल्कुल ठप हो गया है, इससे बेरोजगारी भी बढ़ी है. सर्विस सेक्टर का उल्लेख करते हुए वे कहते हैं कि सर्विस सेक्टर में घोर मंदी छाई हुई है. आईटी सेक्टर में पिछले दो सालों से लगातार लोगों की छटनी हो रही है. लाखों लोग सड़क पर आ गए हैं. टेलीकॉम सेक्टर में इसी हाल से गुजर रहा है.
पढ़ें: यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार का सच बताया, क्या अब सरकार मानेगी अर्थव्यवस्था डूब रही है: पी चिदंबरम
वे कहते हैं कि एक्सपोर्ट में भी इस साल कमी दर्ज की गई है, लेकिन इम्पोर्ट में लगातार इजाफा हो रहा है. नोटबंदी को उन्होंने अर्थव्यवस्था के डिजास्टर बताया. सरकार के इस कदम को उन्होंने पूरी तरह फ्लॉप बताया. वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को जहां मोदी सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है, यशवंत सिन्हा ने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस पर न तो सही तरीके से सोचा गया और न ही अध्ययन किया गया. इससे भी जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है.
VIDEO: यशवंत सिन्हा से मिले संवाददाता ने बताई अंदर की बात
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा है कि देश में लाखों की तादाद में लोग बेरोजगार हुए हैं. साथ ही जीडीपी में हर तिमाही में गिरावट दर्ज की जा रही है. पिछले तीन सालों में जीडीपी सबसे निचले स्तर पर गिर गई है. उन्होंने कहा कि सरकार जीडीपी को मापने का भी गलत पैमाने इस्तेमाल कर रही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले उद्योग-धंधे अपने अस्तित्व से जूझ रहे हैं. 95 करोड़ रुपये जीएसटी का टैक्स भरा गया था, जिसमें से 65 हज़ार करोड़ रुपये लोगों ने इनपुट क्रेडिट के तौर पर रिफंड मांगा है. लेकिन उनको रिफंड नहीं दिया जा रहा है क्योंकि सरकार ने जांच की बात कही है. इससे छोटे कारोबारियों का पैसा सरकार पर अटक गया है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने रेड राज शुरू कर दिया है. कारोबारी डरे हुए हैं.
VIDEO: कहीं पे तीर कहीं पे निशाना
यशवंत सिन्हा की इस तल्खी की वजह क्या है इसके लिए इतिहास के पन्ने खंगालने होंगे. 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी तब बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता जशवंत सिंह और प्रमोद महाजन चुनाव हार गए थे. दोनों ही काबिल नेता थे, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था. यशवंत सिन्हा ने कहा है कि वाजपेयी हारे हुए नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते थे, लेकिन अरुण जेटली भी हारे हुए नेता हैं और उन्हें मंत्रिमंडल में सबसे अहम दर्जा मिला हुआ है. वे एक नहीं चार-चार मंत्रालय संभाल रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वे काबिल हैं, लेकिन चार मंत्रालय मिलने के कारण किसी भी मंत्रालय पर अपना ध्यान नहीं लगा पाए.
यशवंत सिन्हा कहते हैं जब वे विपक्ष में थे तो रेड राज की आलोचना करते थे लेकिन मोदी सरकार में इस समय यह खुलेआम हो रहा है. आखिर में वे नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्होंने गरीबी को बहुत करीब से देखा है. और उनके वित्त मंत्री इस बात के लिए मेहनत कर रहे हैं कि पूरे भारत के लोग भी प्रधानमंत्री की तरह गरीबी को पास से देखें.
VIDEO : यशवंत सिन्हा का हमला, क्या,क्यों और सरकार का जवाब
यशवंत सिन्हा ने इस बात का भी उल्लेख किया जिसमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने जीडीपी के गिरने की वजह तकनीक को ठहराया है. इस पर भारतीय स्टेट बैंक ने अमित शाह की बात को खारिज कर दिय है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में केवल एक नई बात हुई है वह है आर्थिक सलाहकार कमेटी के गठन की. इसमें पांच लोग हैं और उम्मीद की जा रही है कि ये पांच लोग पांडवों की तरह आर्थिक महाभारत को जीत कर दिखाएंगे. उन्होंने कहा है कि ब्लफ़ और गर्जन चुनावों को लिए तो ठीक होती है, लेकिन वास्तविकता के सामने वे उड़ जाते हैं.
इस तरह तमाम बातों में उन्होंने इशारा तो अरुण जेटली की तरफ रखा है, लेकिन उनका निशाना पूरी तरह नरेंद्र मोदी की तरफ रखा है.
बता दें कि यशवंत सिन्हा से बीजेपी ने काफी पहले ही किनारा कर लिया था. 2014 के चुनावों से पहले वे 75 वर्ष के हो चुके थे, इसलिए उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. हां, उनके बेटे जयंत सिन्हा को उनके स्थान पर टिकट दिया गया था. वे जीते तो उनको मंत्री भी बनाया गया था. वे दो साल तक वित्त राज्य मंत्री रहे हैं.
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दूसरी वजह बताते हुए वे कहते हैं कि इस समय खेती एक बड़े संकट से जूझ रही है. सरकार दावा तो करती है कि खेती में हर साल रिकॉर्ड उत्पदान हो रहा है, लेकिन इस रिकॉर्ड उत्पादन का एक गरीब किसान को क्या मिल रहा है. पूर्व वित्त मंत्री का आरोप है कि निर्माण क्षेत्र अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. यहां एक बड़ी आबादी को रोजगार मिलता है, लेकिन नोटबंदी के कारण निर्माण क्षेत्र बिल्कुल ठप हो गया है, इससे बेरोजगारी भी बढ़ी है. सर्विस सेक्टर का उल्लेख करते हुए वे कहते हैं कि सर्विस सेक्टर में घोर मंदी छाई हुई है. आईटी सेक्टर में पिछले दो सालों से लगातार लोगों की छटनी हो रही है. लाखों लोग सड़क पर आ गए हैं. टेलीकॉम सेक्टर में इसी हाल से गुजर रहा है.
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वे कहते हैं कि एक्सपोर्ट में भी इस साल कमी दर्ज की गई है, लेकिन इम्पोर्ट में लगातार इजाफा हो रहा है. नोटबंदी को उन्होंने अर्थव्यवस्था के डिजास्टर बताया. सरकार के इस कदम को उन्होंने पूरी तरह फ्लॉप बताया. वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को जहां मोदी सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है, यशवंत सिन्हा ने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस पर न तो सही तरीके से सोचा गया और न ही अध्ययन किया गया. इससे भी जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है.
VIDEO: यशवंत सिन्हा से मिले संवाददाता ने बताई अंदर की बात
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा है कि देश में लाखों की तादाद में लोग बेरोजगार हुए हैं. साथ ही जीडीपी में हर तिमाही में गिरावट दर्ज की जा रही है. पिछले तीन सालों में जीडीपी सबसे निचले स्तर पर गिर गई है. उन्होंने कहा कि सरकार जीडीपी को मापने का भी गलत पैमाने इस्तेमाल कर रही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले उद्योग-धंधे अपने अस्तित्व से जूझ रहे हैं. 95 करोड़ रुपये जीएसटी का टैक्स भरा गया था, जिसमें से 65 हज़ार करोड़ रुपये लोगों ने इनपुट क्रेडिट के तौर पर रिफंड मांगा है. लेकिन उनको रिफंड नहीं दिया जा रहा है क्योंकि सरकार ने जांच की बात कही है. इससे छोटे कारोबारियों का पैसा सरकार पर अटक गया है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने रेड राज शुरू कर दिया है. कारोबारी डरे हुए हैं.
VIDEO: कहीं पे तीर कहीं पे निशाना
यशवंत सिन्हा की इस तल्खी की वजह क्या है इसके लिए इतिहास के पन्ने खंगालने होंगे. 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी तब बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता जशवंत सिंह और प्रमोद महाजन चुनाव हार गए थे. दोनों ही काबिल नेता थे, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था. यशवंत सिन्हा ने कहा है कि वाजपेयी हारे हुए नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते थे, लेकिन अरुण जेटली भी हारे हुए नेता हैं और उन्हें मंत्रिमंडल में सबसे अहम दर्जा मिला हुआ है. वे एक नहीं चार-चार मंत्रालय संभाल रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वे काबिल हैं, लेकिन चार मंत्रालय मिलने के कारण किसी भी मंत्रालय पर अपना ध्यान नहीं लगा पाए.
यशवंत सिन्हा कहते हैं जब वे विपक्ष में थे तो रेड राज की आलोचना करते थे लेकिन मोदी सरकार में इस समय यह खुलेआम हो रहा है. आखिर में वे नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्होंने गरीबी को बहुत करीब से देखा है. और उनके वित्त मंत्री इस बात के लिए मेहनत कर रहे हैं कि पूरे भारत के लोग भी प्रधानमंत्री की तरह गरीबी को पास से देखें.
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यशवंत सिन्हा ने इस बात का भी उल्लेख किया जिसमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने जीडीपी के गिरने की वजह तकनीक को ठहराया है. इस पर भारतीय स्टेट बैंक ने अमित शाह की बात को खारिज कर दिय है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में केवल एक नई बात हुई है वह है आर्थिक सलाहकार कमेटी के गठन की. इसमें पांच लोग हैं और उम्मीद की जा रही है कि ये पांच लोग पांडवों की तरह आर्थिक महाभारत को जीत कर दिखाएंगे. उन्होंने कहा है कि ब्लफ़ और गर्जन चुनावों को लिए तो ठीक होती है, लेकिन वास्तविकता के सामने वे उड़ जाते हैं.
इस तरह तमाम बातों में उन्होंने इशारा तो अरुण जेटली की तरफ रखा है, लेकिन उनका निशाना पूरी तरह नरेंद्र मोदी की तरफ रखा है.
बता दें कि यशवंत सिन्हा से बीजेपी ने काफी पहले ही किनारा कर लिया था. 2014 के चुनावों से पहले वे 75 वर्ष के हो चुके थे, इसलिए उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. हां, उनके बेटे जयंत सिन्हा को उनके स्थान पर टिकट दिया गया था. वे जीते तो उनको मंत्री भी बनाया गया था. वे दो साल तक वित्त राज्य मंत्री रहे हैं.
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