
प्रतीकात्मक तस्वीर
- ले-आउट अप्रूवल नहीं लेना प्रमुख वजह
- जेपी, अजनारा, गौड़ संस जैसे बड़े समूह शामिल
- हजारों निवेशकों के पैसे फंसने का अंदेशा
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बताया जा रहा है कि रद हुए प्रोजेक्ट्स में से 11 बिल्डर परियोजनाएं अकेले जेपी समूह की हैं और बाकी छह अन्य रियल एस्टेट फर्मों के हैं. दरअसल ले-आउट अप्रूवल से पहले इससे संबंधित आपत्तियों का बिल्डरों को निस्तारण करना होता है. बिल्डरों को 2014-16 के दौरान ऐसा कराना जरूरी था लेकिन जब इन्होंने किसी तरह का कोई रिस्पांस नहीं दिया तो अथॉरिटी ने मामले की जांच की तो पता चला कि 17 प्रोजेक्टों का ले-आउट अप्रूवल नहीं है. लिहाजा इनको रद कर दिया गया.
हालांकि इन परियोजनाओं में वास्तविक रूप से कितने निवेशकों का पैसा लगा है, उसकी संख्या का अभी पुख्ता तौर पर आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. हालांकि माना जा रहा है कि लाखों वर्ग मीटर की इन परियोजनाओं में हजारों की संख्या में निवेशकों का पैसा फंस सकता है.
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