
हर साल तीन मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है.
हमारे आस-पास के पर्यावरण और बेजुबान, निरीह जंतुओं को प्रश्नाकुल एवं संवेदना भरी नजरों से सबसे ज्यादा कौन देखता है? जवाब है-युवा. बालमन आस-पास की प्रकृति और बेजुबान जीवों को रहस्य की तरह देखता है. वह जब इन जीवों को पास जाकर छूता है तो उसका मन गुदगुदाता है. संभवतया इन्हीं वजहों से जब वह इन जंतुओं के खिलाफ हिंसा देखता है तो उसका कोमल मन करुणा और संवेदना से भर जाता है. शायद इन्हीं चीजों को मद्देनजर रखते हुए इस बार के विश्व वन्यजीव दिवस की थीम में युवा आवाजों को तरजीह देने का फैसला किया गया है. इसीलिए तीन मार्च को मनाए जा रहे विश्व वन्यजीव दिवस(डब्ल्यूडब्ल्यूडी) की थीम 'युवा आवाजों को सुनो 'निर्धारित किया गया है.
ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि दुनिया की कुल आबादी में से तकरीबन एक चौथाई की उम्र महज 10-24 साल है. इसीलिए इस तबके को भविष्य का नेता और नीति-निर्धारक मानते हुए वन्यजीवों को बचाने के लिए इनके विचारों को सुनने और अपनाने पर जोर दिया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि संकटग्रस्त जीवों के प्रति जागरुकता बढाने और उनको विलुप्त होने से बचाने की पहल के तहत संयुक्त राष्ट्र हर साल तीन मार्च को विश्व वन्जीव दिवस मनाता है.
द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के मुताबिक जीवों की 2,599 प्रजातियां, उप-प्रजातियां अत्यधिक संकटग्रस्त हैं. इसी तरह 1975 पौधे, पादक और अन्य सूक्ष्म जीवों की प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है.
ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि दुनिया की कुल आबादी में से तकरीबन एक चौथाई की उम्र महज 10-24 साल है. इसीलिए इस तबके को भविष्य का नेता और नीति-निर्धारक मानते हुए वन्यजीवों को बचाने के लिए इनके विचारों को सुनने और अपनाने पर जोर दिया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि संकटग्रस्त जीवों के प्रति जागरुकता बढाने और उनको विलुप्त होने से बचाने की पहल के तहत संयुक्त राष्ट्र हर साल तीन मार्च को विश्व वन्जीव दिवस मनाता है.
द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के मुताबिक जीवों की 2,599 प्रजातियां, उप-प्रजातियां अत्यधिक संकटग्रस्त हैं. इसी तरह 1975 पौधे, पादक और अन्य सूक्ष्म जीवों की प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है.
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