नई दिल्ली:
2016 कई बड़े देशों के प्रधानमंत्रियों के लिए घातक साबित हुआ. पूरी दुनिया में दस से भी ज्यादा देशों के प्रधानमंत्रियों को अलग-अलग कारणों की वजह से इस्तीफ़ा देना पड़ा, जिसमें ब्रिटेन,न्यूज़ीलैंड और इटली जैसे बड़े देश शामिल हैं. कोई जनमत संग्रह में हारा तो किसी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप था.
इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने भी दिया इस्तीफा
दिसम्बर 5 तारीख को इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.इटली में हुए जनमत संग्रह में हार के बाद प्रधानमंत्री ने इस्तीफे का ऐलान किया था. इटली के प्रधानमंत्री सीनेट के आकार और शक्ति को कम करना चाहते थे इसीलिए वह इटली के संविधान में संशोधन लाने चाहते थे. इसके लिए उनको जनमत संग्रह करना पड़ा था. इटली के संविधान के हिसाब से इटली में दो चैम्बर हैं,हाउस ऑफ डेपुटीज़ और हाउस ऑफ सीनेट.
दोनों चैम्बरों की लगभग बराबर शक्तियां हैं. संसद में कोई भी बिल पास होने के लिए दोनों चैम्बरों की सहमति होना जरूरी है, जिसकी वजह से कुछ बिल पास होने में लंबा समय लग जाता है. सीनेट में सुधार के लिए प्रधानमंत्री ने कई प्रस्ताव रखे थे जिसमें सीनेटर की संख्या को 315 से घटाकर 100 कर दिया जाए, सीनेटरों का चुनाव सीधे न हो जैसे प्रस्वाव शामिल थे, लेकिन विपक्ष इसके खिलाफ था. इटली के संविधान में बदलाव को लेकर प्रधानमंत्री ने मांग की थी. वह इस जनमत संग्रह द्वारा खारिज हो गया था.
निजी कारणों के वजह से न्यूज़ीलैंड का प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा
दिसम्बर महीने में न्यूजीलैंड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जॉन की ने इस्तीफा दे दिया था. आठ साल तक न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री रहे जॉन ने 4 दिसम्बर को अपने इस्तीफे की जानकारी ट्विटर के जरिए दी थी. हालांकि 5 दिसम्बर को औपचारिक रूप से उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी. जॉन ने इस्तीफा देते समय कहा था कि वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे. पत्रकारों से बात करते हुए भावुक जॉन की ने बताया था कि 8 साल तक न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में उनका अनुभव काफी शानदार रहा, उनके कार्यकाल में न्यूज़ीलैंड कठिनाई का सामना करते हुए ऊपर उठा. उनके कार्यकाल में न्यूज़ीलैंड वैश्विक मंदी के कठिन दौर से बाहर निकला. जॉन का कहना था कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं.
जनमत संग्रह में हार के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का इस्तीफ़ा
जून के महीने में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और इस्तीफ़ा के पीछे जो कारण था वह था जनमत संग्रह में हार. जनमत संग्रह में ब्रिटेन के लोगों के यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में वोट देने के बाद डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. अगर कैमरन चाहते तो प्रधानमंत्री के पद पर बने रह सकते थे, लेकिन उन्होंने ब्रिटेन के लोगों के निर्णय को सम्मान देते हुए अपना पद छोड़ दिया था.
पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद आइसलैंड के प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा
अप्रैल 2016 में आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंडर गुन्नलाउगस्सोन ने पनामा पेपर्स में अपना नाम आने के बाद तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था. अगर वे चाहते तो जांच रिपोर्ट आने तक इंतजार कर सकते थे. गुन्नलाउगस्सोन आइसलैंड के लिए काफी अच्छा काम कर रहे थे. 2008 की मंदी के बाद आइसलैंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी.
आतंरिक समस्या के देखते हुए यूक्रेन के प्रधानमंत्री का इस्तीफा
अप्रैल के महीने में यूक्रेन के प्रधानमंत्री अर्सेनिय यात्सेन्युक ने इस्तीफा दे दिया था. यूक्रेन में भ्रष्टाचार,युद्ध और ख़राब आर्थिक स्थिति के वजह से उन पर काफी दवाब था. लोगों का समर्थन भी प्रधानमंत्री के लिए कम हो गया था.मॉस्को समर्थक हिंसा शुरू हो गई थी. संघर्षविराम सौदे के बावजूद भी सरकारी बलों को आतंकवादियों से भयंकर हमले का सामना करना पड़ा रहा था. यूक्रेनी नेताओं ने कुछ आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन को लागू किया था. काले धन पर शिकंजा कसने के लिए कदम उठाए थे. गैस और बिजली सेवा के लिए सब्सिडी में कटौती की गई थी, लेकिन इन सभी मामले में विफल होने के बाद प्रधानमंत्री पर काफी दवाब था, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था.
मोंटेनीग्रो (montenegró) के प्रधानमंत्री के इस्तीफ़ा
अक्टूबर के महीने में मोंटेनीग्रो के प्रधानमंत्री Milo Djukanovic को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उन्होंने रूस पर कई आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. Djukanovic कहना था मोंटेनीग्रो में हुए आम चुनाव के दिन रूस ने एक कथित तख्तापलट के प्रयास किया था जिसमे विपक्ष भी शामिल था.मोंटेनीग्रो के कार्यालय ने आरोप लगाया था कि चुनाव के बाद संसद के सामने लोगों पर हमला करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री Djukanovic की गिरफ्तारी की योजना बनाई गई था और रूस का साथ विपक्ष भी दे रहा था, लेकिन विपक्ष ने उल्टा प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया था कि संसदीय बहुमत न होने के वजह से प्रधानमंत्री मोंटेनीग्रो की राजनीति पर अपने प्रभुत्व का विस्तार करने की कोशिश में तख्तापलट का प्रयास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री के ऊपर रूस का काफी दबाव था.
इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने भी दिया इस्तीफा
दिसम्बर 5 तारीख को इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.इटली में हुए जनमत संग्रह में हार के बाद प्रधानमंत्री ने इस्तीफे का ऐलान किया था. इटली के प्रधानमंत्री सीनेट के आकार और शक्ति को कम करना चाहते थे इसीलिए वह इटली के संविधान में संशोधन लाने चाहते थे. इसके लिए उनको जनमत संग्रह करना पड़ा था. इटली के संविधान के हिसाब से इटली में दो चैम्बर हैं,हाउस ऑफ डेपुटीज़ और हाउस ऑफ सीनेट.
दोनों चैम्बरों की लगभग बराबर शक्तियां हैं. संसद में कोई भी बिल पास होने के लिए दोनों चैम्बरों की सहमति होना जरूरी है, जिसकी वजह से कुछ बिल पास होने में लंबा समय लग जाता है. सीनेट में सुधार के लिए प्रधानमंत्री ने कई प्रस्ताव रखे थे जिसमें सीनेटर की संख्या को 315 से घटाकर 100 कर दिया जाए, सीनेटरों का चुनाव सीधे न हो जैसे प्रस्वाव शामिल थे, लेकिन विपक्ष इसके खिलाफ था. इटली के संविधान में बदलाव को लेकर प्रधानमंत्री ने मांग की थी. वह इस जनमत संग्रह द्वारा खारिज हो गया था.
निजी कारणों के वजह से न्यूज़ीलैंड का प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा
दिसम्बर महीने में न्यूजीलैंड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जॉन की ने इस्तीफा दे दिया था. आठ साल तक न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री रहे जॉन ने 4 दिसम्बर को अपने इस्तीफे की जानकारी ट्विटर के जरिए दी थी. हालांकि 5 दिसम्बर को औपचारिक रूप से उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी. जॉन ने इस्तीफा देते समय कहा था कि वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे. पत्रकारों से बात करते हुए भावुक जॉन की ने बताया था कि 8 साल तक न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में उनका अनुभव काफी शानदार रहा, उनके कार्यकाल में न्यूज़ीलैंड कठिनाई का सामना करते हुए ऊपर उठा. उनके कार्यकाल में न्यूज़ीलैंड वैश्विक मंदी के कठिन दौर से बाहर निकला. जॉन का कहना था कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं.
जनमत संग्रह में हार के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का इस्तीफ़ा
जून के महीने में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और इस्तीफ़ा के पीछे जो कारण था वह था जनमत संग्रह में हार. जनमत संग्रह में ब्रिटेन के लोगों के यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में वोट देने के बाद डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. अगर कैमरन चाहते तो प्रधानमंत्री के पद पर बने रह सकते थे, लेकिन उन्होंने ब्रिटेन के लोगों के निर्णय को सम्मान देते हुए अपना पद छोड़ दिया था.
पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद आइसलैंड के प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा
अप्रैल 2016 में आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंडर गुन्नलाउगस्सोन ने पनामा पेपर्स में अपना नाम आने के बाद तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था. अगर वे चाहते तो जांच रिपोर्ट आने तक इंतजार कर सकते थे. गुन्नलाउगस्सोन आइसलैंड के लिए काफी अच्छा काम कर रहे थे. 2008 की मंदी के बाद आइसलैंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी.
आतंरिक समस्या के देखते हुए यूक्रेन के प्रधानमंत्री का इस्तीफा
अप्रैल के महीने में यूक्रेन के प्रधानमंत्री अर्सेनिय यात्सेन्युक ने इस्तीफा दे दिया था. यूक्रेन में भ्रष्टाचार,युद्ध और ख़राब आर्थिक स्थिति के वजह से उन पर काफी दवाब था. लोगों का समर्थन भी प्रधानमंत्री के लिए कम हो गया था.मॉस्को समर्थक हिंसा शुरू हो गई थी. संघर्षविराम सौदे के बावजूद भी सरकारी बलों को आतंकवादियों से भयंकर हमले का सामना करना पड़ा रहा था. यूक्रेनी नेताओं ने कुछ आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन को लागू किया था. काले धन पर शिकंजा कसने के लिए कदम उठाए थे. गैस और बिजली सेवा के लिए सब्सिडी में कटौती की गई थी, लेकिन इन सभी मामले में विफल होने के बाद प्रधानमंत्री पर काफी दवाब था, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था.
मोंटेनीग्रो (montenegró) के प्रधानमंत्री के इस्तीफ़ा
अक्टूबर के महीने में मोंटेनीग्रो के प्रधानमंत्री Milo Djukanovic को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उन्होंने रूस पर कई आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. Djukanovic कहना था मोंटेनीग्रो में हुए आम चुनाव के दिन रूस ने एक कथित तख्तापलट के प्रयास किया था जिसमे विपक्ष भी शामिल था.मोंटेनीग्रो के कार्यालय ने आरोप लगाया था कि चुनाव के बाद संसद के सामने लोगों पर हमला करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री Djukanovic की गिरफ्तारी की योजना बनाई गई था और रूस का साथ विपक्ष भी दे रहा था, लेकिन विपक्ष ने उल्टा प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया था कि संसदीय बहुमत न होने के वजह से प्रधानमंत्री मोंटेनीग्रो की राजनीति पर अपने प्रभुत्व का विस्तार करने की कोशिश में तख्तापलट का प्रयास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री के ऊपर रूस का काफी दबाव था.
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