वर्ल्ड बैंक का अनुमान, भारत की GDP वृद्धि दर 2021 में 8.3% रहेगी, RBI के लक्ष्य से काफी कम

वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने भारत की आर्थिक विकास दर के लिए अनुमान जारी करते हुए कहा कि 2021 में जीडीपी वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत और 2022 में 7.5 प्रतिशत के करीब रहेगी. यह रिजर्व बैंक के जीडीपी अनुमान से काफी कम है

वर्ल्ड बैंक का अनुमान, भारत की GDP वृद्धि दर 2021 में 8.3% रहेगी, RBI के लक्ष्य से काफी कम

RBI GDP Growth Rate वित्त वर्ष 2020-21 में -7.3 फीसदी रही

वाशिंगटन:

रिजर्व बैंक ने कोरोना की दूसरी लहर के कारण वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर भले ही 9.5 फीसदी कर दिया हो, लेकिन वर्ल्ड बैंक का अनुमान तो और चिंताजनक स्थिति बयां कर रहे हैं. वर्ल्ड बैंक ने मंगलवार को भारत की आर्थिक विकास दर के लिए अनुमान जारी करते हुए कहा कि 2021 में जीडीपी वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत और 2022 में 7.5 प्रतिशत के करीब रहेगी. विश्वबैंक ने कहा है कि महामारी की अबतक की सबसे खतरनाक दूसरी लहर से आर्थिक वापसी के प्रयासों को झटका लगा है. यह रिजर्व बैंक के जीडीपी अनुमान से काफी कम है.

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ग्लोबल इकोनामिक प्रॉस्पेक्ट्स (वैश्विक आर्थिक संभावना) नाम की रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में 2020-21 की दूसरी छमाही में खासकर सेवा क्षेत्र में तीव्र वापसी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने इस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. महामारी की शुरुआत से किसी भी देश के मुकाबले सर्वाधिक भीषण लहर भारत में आई और इससे आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. भारत की अर्थव्यवस्था में 2020 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. जबकि 2019 में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वर्ष 2023 में भारत की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2021 में 5.6 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना है. ऐसा होता तो है कि यह 80 साल में मंदी के बाद मजबूत छलांग होगी.बुनियादी ढांचा, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य पर अधिक व्यय समेत नीतिगत समर्थन और सेवा एवं विनिर्माण में अपेक्षा से अधिक उछाल से गतिविधियों में तेजी आएगी. कोविड-19 महामारी की भीषण दूसरी लहर और इसकी रोकथाम के लिए मार्च 2021 से स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन' से आर्थिक नुकसान पहुंचने की आशंका है.

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महामारी से खपत और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि भरोसा पहले से कमजोर बना हुआ है और बही-खातों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर धीमी पड़कर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह कोविड-19 के परिवार, कंपनियों तथा बैंकों के बही-खातों पर पड़ने वाले असर को दिखाता है.  इससे ग्राहकों का भरोसा और कमजोर होगा और रोजगार और कमाई के मामले में अनिश्चितता बढ़ेगी.