विज्ञापन
This Article is From Jun 09, 2021

अब वर्ल्ड बैंक ने घटाया FY22 में भारत का GDP ग्रोथ अनुमान, 10.1 से घटाकर 8.3% किया

Indian Economy: विश्वबैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये भारत की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले जताये गये 10.1 प्रतिशत से घटाकर 8.3 प्रतिशत कर दिया है. संस्था ने कहा कि कोविड-19 की सबसे खतरनाक दूसरी लहर से इकोनॉमिक रिकवरी को नुकसान पहुंचा है.

अब वर्ल्ड बैंक ने घटाया FY22 में भारत का GDP ग्रोथ अनुमान, 10.1 से घटाकर 8.3% किया
GDP Growth Forecast : जीडीपी में वृद्धि दर के अनुमान में वर्ल्ड बैंक ने की कटौती.
वॉशिंगटन:

विश्वबैंक (World Bank) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिये भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान को पहले जताये गये 10.1 प्रतिशत से घटाकर 8.3 प्रतिशत कर दिया. उसने कहा है कि कोविड-19 महामारी की अबतक की सबसे खतरनाक दूसरी लहर से इकोनॉमिक रिकवरी (Covid-19 affected economic recovery) को नुकसान पहुंचा है. कर्ज देने वाला बहुपक्षीय संस्थान ने 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है.

विश्वबैंक ने ग्लोबल इकोनामिक प्रॉस्पेक्ट्स (वैश्विक आर्थिक संभावनाएं) शीर्षक रपट के नए संस्करण में कहा है कि भारत में 2020-21 की दूसरी छमाही में खासकर सेवा क्षेत्र में तीव्र पुनरूद्धार देखा जा रहा था, लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने इस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. संस्थान के अनुसार, ‘महामारी की शुरूआत से किसी भी देश के मुकाबले सर्वाधिक भीषण लहर भारत में आयी और इससे आर्थिक पुनरूद्धार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.'

बीते वित्त वर्ष में सबसे खराब रही अर्थव्यवस्था में वृद्धि की दर

बता दें कि 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में अबतक की सबसे खराब 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि 2019-20 में इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. विश्वबैंक ने इस साल अप्रैल में 2021-22 में जीडीपी में 10.1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया था. यह जनवरी में जताये गये 5.4 प्रतिशत वृद्धि से अधिक था. लेकिन अब अनुमान को कम कर दिया गया है. बहुपक्षीय संस्थान ने 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 जीडीपी की विकास दर 10.5% से घटाकर 9.5% की

विश्वबैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2021 में 5.6 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है. अगर ऐसा होता तो है कि यह 80 साल में मंदी के बाद की यह सबसे मजबूत वृद्धि होगी. इसमें कहा गया है, ‘भारत की जीडीपी में 2021-22 (अप्रैल-मार्च) में 8.3 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है.' रिपोर्ट के अनुसार बुनियादी ढांचा, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य पर अधिक व्यय समेत नीतिगत समर्थन तथा सेवा एवं विनिर्माण में अपेक्षा से अधिक पुनरूद्धार से गतिविधियों में तेजी आएगी. वित्त वर्ष 2021-22 के अनुमान में कोविड-19 की दूसरी लहर तथा इसकी रोकथाम के लिये मार्च 2021 से स्थानीय स्तर लगायी पाबंदियों के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान पर गौर किया गया है.

अमेरिका की वृद्धि दर

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महामारी से खपत और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि भरोसा पहले से कमजोर बना हुआ है और बही-खातों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर धीमी पड़कर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह कोविड-19 के परिवार, कंपनियों तथा बैंकों के बही-खातों पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव, ग्राहकों का भरोसा कमजोर होना तथा रोजगार एवं आय के मामले में अनिश्चितता को अभिव्यक्त करता है.'

वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में इसमें 5.6 प्रतिशत वृद्धि होगी. अगर ऐसा होता तो है कि यह 80 साल में मंदी के बाद मजबूत वृद्धि होगी. इसका मुख्य कारण कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मजबूत पुनरूद्धार है. हालांकि पुनरूद्धार के बावजूद वैश्विक उत्पादन महामारी पूर्व अनुमान के मुकाबले इस साल 2 प्रतिशत कम रहेगा. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका में इस साल 6.8 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान जताया गया है. इसका कारण बड़े स्तर पर राजकोषीय मदद तथा महामारी से जुड़ी पाबंदियों में ढील है. अन्य विकसित देशों में वृद्धि मजबूत होगी लेकिन उसकी गति कम होगी.

चीन की आबादी पहुंची 1.41 अरब के पार, आने वाले दिनों में संकट गहराने के आसार

चीन की वृद्धि दर

रिपोर्ट के अनुसार उभरते और विकासशील देशों में चीन की वृद्धि दर 2021 में 8.5 प्रतिशत रहने की संभावना है. इसकी वजह दबी हुई मांग में तेजी आना है. विश्वबैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर पुनरूद्धार के संकेत हैं लेकिन महामारी के कारण विकासशील देशों में गरीबी और असमानता बढ़ी है.'

उन्होंने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से कम आय वाले देशों के लिए टीका वितरण और ऋण राहत में तेजी लाने के लिए समन्वित प्रयास आवश्यक हैं. स्वास्थ्य संकट कम होने के साथ नीति निर्माताओं को महामारी के स्थायी प्रभावों को दूर करने और व्यापक तौर पर आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए हरित, मजबूत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होगी.'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com