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This Article is From May 08, 2020

सरकार के पास मजदूरों की घर वापसी का कोई ब्लू प्रिंट नहीं, परिवार सहित सड़क पर रात बिता रहे मजदूर

राज्य सरकार जब तक ट्रेन और सरकारी बसों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं करेगी तब तक ये मजदूर और उनका परिवार ऐसे ही धक्के खाते रहेंगे. 

सरकार के पास मजदूरों की घर वापसी का कोई ब्लू प्रिंट नहीं, परिवार सहित सड़क पर रात बिता रहे मजदूर
पुलिस मजदूरों को रोक रही है और उन्हें आगे जाने नहीं दिया जा रहा रहा है.
नई दिल्ली:

पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से हजारों मजदूर पैदल और साइकिल से अपने गांव की ओर जा रहे हैं. लेकिन बीच-बीच में इनको पुलिस के जरिए रोका जा रहा है. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि किसी भी मजदूर को पैदल नहीं जाने दिया जाएगा लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई ब्लू प्रिंट इन मजदूरों के घर वापसी का नहीं बन पाया है.

गढ़मुक्तेश्वर-अमरोहा बार्डर पर हजारों मजदूर हापुड़ जिले से अमरोहा होते हुए अपने गांव की जा रहे थे लेकिन अमरोहा पुलिस ने इनको रोका. शुक्रवार शाम तक पुलिस और मजदूरों के बीच ऐसे ही तनातनी के हालात बने रहे. एक ओर अमरोहा पुलिस कह रही है कि इनके लिए बस का इंतजाम कर रही है वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के डेढ़ महीने बाद दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में फंसे रहने के चलते अब ये मजदूर पुलिस पर भरोसा करके रुकना नहीं चाहते हैं.

मजदूरों ने बताया कि पुलिस उन्हें जगह-जगह रोक रही है इसीलिए इधर-उधर से आ रहे हैं. उन्हें आगे जाने नहीं दिया जा रहा. हालांकि हापुड़ जिला प्रशासन बीते चार दिनों से लगातार यहां आ रहे मजदूरों को बसों से पहुंचा रहा है.लेकिन श्रमिक ज्यादा होने से बसें कम पड़ती जा रही हैं. गुरुवार शाम को भी सैकड़ों लोग अमरोहा बार्डर के राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैठे दिखे. 

पुलिस आगे बढ़ने नहीं दे रही है और बसें ज्यादा है नहीं इसलिए श्रमिकों के परिवारों को रात सड़क पर ही बितानी पड़ रही है. राज्य सरकार जब तक ट्रेन और सरकारी बसों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं करेगी तब तक ये मजदूर और उनका परिवार ऐसे ही धक्के खाते रहेंगे. 

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