प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत इस बात से पर्याप्त संतुष्ट है कि सीमा पर शांति एवं अमन सुनिश्चित करने के लिए चीन उतना ही गंभीर है जितना कि भारत। उन्होंने कहा कि दो देशों की उनकी यात्रा का उद्देश्य पूरा हो गया है और नतीजे भी मिल गए हैं।
चार हजार किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव दूर करने के लिए भारत और चीन द्वारा व्यापक समझौते पर पहुंचने के एक दिन बाद सिंह ने कहा कि दोनों देश इस बात के लिए कटिबद्ध हैं कि सीमा पर शांति और अमन द्विपक्षीय संबधों की प्रगति के लिए पूर्वशर्त है।
रूस और चीन की यात्रा से स्वदेश वापसी के दौरान उनके साथ गए सिंह ने कहा, ‘इसे स्वीकार कर लिया गया है, पूर्ण रूप से देखने पर, भारत-चीन सीमा पर शांति और अमन है। अतएव मैं इस बात से पर्याप्त संतुष्ट हूं कि भारत चीन सीमा पर शांति एवं अमन बनाने में चीनी नेतृत्व उतना ही गंभीर है जितने कि हम।’
प्रधानमंत्री से पूछा गया था कि क्या भारत नए समझौते को चीन के साथ सीमा के सवाल को हल करने के अवसर के रूप में देखता है। सिंह ने कहा कि इन यात्राओं से उनका उद्देश्य पूरा हो गया है और भारत ने रूस और चीन में जो नतीजे हासिल किए हैं, उससे वह संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि चीन की उनकी यात्रा नए चीनी नेतृत्व को बेहतर ढंग से जानने की प्रक्रिया की एक अहम कड़ी है।
उन्होंने कहा, ‘चीन हमारा बड़ा पड़ोसी तथा एक अहम आर्थिक साझेदार है, वह एक ऐसा देश है जिसकी वैश्विक उपस्थिति बढ़ती जा रही है। हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं बहुतस्तरीय फलक पर कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमारे बीच सहयोग परस्पर लाभकारी है। केवल सघन वार्ता से ही हम इन क्षेत्रों में आगे बढ़ पाएंगे।’
जब उनसे सीमा के आर-पार बहने वाली नदियों पर चीन के साथ समझौते के बारे में जानने की कोशिश की गयी तथा उनसे पूछा गया कि उनके हिसाब से पूर्वोत्तर, जहां से वह राज्यसभा में सांसद हैं, पर इसका क्या असर होगा, तब उन्होंने कहा कि चूंकि वह उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं अतएव वह इस बात पर बल देकर कहते हैं कि सीमा के आरपार बहने वाली नदियों पर सहयोग की दिशा में आगे बढ़ा जाना चाहिए।
सिंह ने कहा, ‘मैं पहले भी चीनी नेतृत्व के साथ इस पर चर्चा करता रहा। मैंने फिर यह मुद्दा उठाया और उस पर प्रगति हुई है। वे और अधिक दिनों का डाटा देने पर सहमत हो गए हैं। उन्होंने यह भी माना कि सीमापारीय नदी तंत्र उन सभी देशों के हित में है जहां जहां से वह गुजरती है। अतएव, हमाने अपनी चिंता उनके सामने रख दी है। मैं आशा करता हूं कि आने वाले वर्षों में उस पर प्रगति होगी।’
जब उनसे इस क्षेत्र में सिर उठा रहे आतंकवाद, चरमपंथ, कट्टरपंथ की समस्या का ‘चिंता के विषय’ के रूप में जिक्र किया गया तथा उस पर रूस एवं चीन की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो सिंह ने कहा कि रूस और चीन दोनों स्थानों पर उन्होंने पाया कि इस क्षेत्र के सभी देशों में आतंकवाद खतरे के रूप में देखा जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे मानते हैं कि आतंकवाद एवं चरमपंथ तरक्की के दुश्मन हैं और इस समस्या से निबटने के लिए मिलकर काम करना जाहिए, खुफिया सूचनाएं बांटनी चाहिए।
चीन के साथ उदार वीजा व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि दोनों देश ऐसा चाहते हैं तथा उन्होंने उम्मीद की कि इस लक्ष्य को साकार करने के लिए वे एक अमल करने योग्य तंत्र तलाश कर लेंगे।
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