मंदिर की ट्रस्टी चुनी गईं अनीता शेटे और शालिनी लांडे।
मुंबई:
शिरडी के पास स्थित शिंगणापुर के प्रसिद्ध शनि मंदिर के ट्रस्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। ट्रस्ट ने अपने मंडल में पहली बार महिलाओं को स्थान दिया है। भारत में अमूमन महिलाएं शनि देव के पूजन अर्चन में शरीक नहीं होती। ऐसे में 400 साल पुराने इस मंदिर के ट्रस्ट का फैसला ऐतिहासिक है।
अनीता शेटे और शालिनी लांडे बनीं ट्रस्टी
मंदिर ट्रस्ट में बतौर सदस्य चुनी गईं अनीता शेटे और शालिनी लांडे पर ऐतिहासिक जिम्मेदारी आ गई है। यह दोनों महिलाएं शिंगणापुर के प्रसिद्ध शनि मंदिर में ट्रस्टी चुनी गई हैं। शनि मंदिर की ट्रस्टी बनने वाली वे पहली महिलाएं हैं। उनसे अब मंदिर की पूजा पद्धति में बदलाव की मांग हो रही है। महिलावादी कार्यकर्ता और एनसीपी नेता चित्रा वाघ ने इन दोनों महिलाओं का अभिनंदन किया है। साथ ही कहा है कि, चुनी गई महिलाएं पुरुषों के हाथों की गुड़िया न बनकर महिला भक्तों को शनिपूजा का अधिकार दिलाने का काम करें।
महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी
शनि शिंगणापुर के मंदिर में पूजा स्थल पर महिलाओं को प्रवेश नहीं है। यह परम्परा पिछले 400 सालों से चली आ रही है। इसी के चलते महिलाएं कभी मंदिर ट्रस्ट में शामिल नहीं हो सकीं। लेकिन हाल ही में एक अज्ञात महिला ने मंदिर की परम्परा का उल्लंघन किया। इसे नापाक मान कर मंदिर का शुद्धिकरण किया गया, जो कि विवादों में रहा। इसी बीच महिलाओं को भी मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने की मांग उठी, जो अब पूरी हुई है। इस बदलाव से मंदिर प्रवेश को लेकर चल रही महिलाओं के हक की लड़ाई में महाराष्ट्र ने एक कदम आगे रख दिया है।
अनीता शेटे और शालिनी लांडे बनीं ट्रस्टी
मंदिर ट्रस्ट में बतौर सदस्य चुनी गईं अनीता शेटे और शालिनी लांडे पर ऐतिहासिक जिम्मेदारी आ गई है। यह दोनों महिलाएं शिंगणापुर के प्रसिद्ध शनि मंदिर में ट्रस्टी चुनी गई हैं। शनि मंदिर की ट्रस्टी बनने वाली वे पहली महिलाएं हैं। उनसे अब मंदिर की पूजा पद्धति में बदलाव की मांग हो रही है। महिलावादी कार्यकर्ता और एनसीपी नेता चित्रा वाघ ने इन दोनों महिलाओं का अभिनंदन किया है। साथ ही कहा है कि, चुनी गई महिलाएं पुरुषों के हाथों की गुड़िया न बनकर महिला भक्तों को शनिपूजा का अधिकार दिलाने का काम करें।
महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी
शनि शिंगणापुर के मंदिर में पूजा स्थल पर महिलाओं को प्रवेश नहीं है। यह परम्परा पिछले 400 सालों से चली आ रही है। इसी के चलते महिलाएं कभी मंदिर ट्रस्ट में शामिल नहीं हो सकीं। लेकिन हाल ही में एक अज्ञात महिला ने मंदिर की परम्परा का उल्लंघन किया। इसे नापाक मान कर मंदिर का शुद्धिकरण किया गया, जो कि विवादों में रहा। इसी बीच महिलाओं को भी मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने की मांग उठी, जो अब पूरी हुई है। इस बदलाव से मंदिर प्रवेश को लेकर चल रही महिलाओं के हक की लड़ाई में महाराष्ट्र ने एक कदम आगे रख दिया है।
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