जिस युवती अमूल्या लियोना (Amulya Leona) पर बेंगलुरू में सीएए विरोधी रैली में "पाकिस्तान जिंदाबाद" का नारा लगाने के लिए राजद्रोह (Sedition) का आरोप लगाया गया था, उसे जमानत मिल नई है. अदालत ने बुधवार को उसे जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि वह फरार हो सकती है, लेकिन युवती के वकील इस आधार पर बेल हासिल करने में सफल रहे कि वह जेल में करीब चार माह का समय बिता चुकी है. लियोना के वकील प्रसन्ना आर, ने NDTV को बताया कि निर्धारित समय से परे मामले में चार्जशीट पेश करने में स्टेट की देरी का मतलब है कि वह "डिफ़ॉल्ट जमानत" के लिए पात्र थी.
वकील ने कहा, "मजिस्ट्रेट के समक्ष डिफ़ॉल्ट जमानत आवेदन पेश किया गया था जिसके अधिकार क्षेत्र के तहत कथित अपराध किया गया था. चूंकि स्टेट (राज्य) द्वारा 90 दिनों के भीतर चार्जशीट पेश नहीं की गई है, इसलिए डिफ़ॉल्ट जमानत मंजूर की गई. हमने 26 मई और 29 मई को डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका को 'मूव' किया था जब अदालत ने हमें बताया कि पहले की मेल आईडी निष्क्रिय (disabled) कर दी गई थी. एक एप्लीकेशन 2 जून को दाखिल की गई जबकि स्टेट की ओर से 3 जून को चार्जशीट फाइल की गई.
मामले में हालांकि स्टेट की ओर से यह दलील दी गई कि वे चार्जशीट के निर्धारित समय को बढ़ाए जाने के हकदार हैं लेकिन कोर्ट ने लियोना के पक्ष में आदेश दिया और जमामत के जरिये उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया. गौरतलब है कि बेंगलुरु में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम या CAA के खिलाफ एक रैली के दौरान लियोना की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी. एक फेसबुक पोस्ट में भी लियोना ने भारत और पाकिस्तान सहित कई देशों को "जिंदाबाद" कहा था. उसने "हिंदुस्तान ज़िंदाबाद" का नारा भी लगाने की कोशिश की थी लेकिन उसे जल्द ही चुप कराकर रैली से अलग कर दिया गया था. उन पर राजद्रोह, दो समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने और इरादतन शरारत का आरोप लगाया गया था.
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