चेन्नई की एक 52 वर्षीय महिला के परिवार ने आरोप लगाया है कि शहर की पुलिस बीजेपी की स्टूटेंड विंग एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत महिला की एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है. एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.सुब्बैया शनमुगम इस महिला के पड़ोसी हैं. महिला के परिवार का कहना है कि डॉ. सुब्बैया, जो कि एक सरकारी ऑन्कोलॉजिस्ट भी हैं, उन्होंने महिला के घर पर पेशाब किया, इस्तेमाल किए गए फेस मास्क और कचरा फेंका और टेलिफोनिक प्रताड़ना दी. पूरी घटना का सिलसिलेवार तरीके बताते हुए महिला के परिवार के एक सदस्य ने एनडीटीवी को बताया कि परेशानी कम से कम चार महीने पहले उस वक्त शुरू हुई जब उसने (महिला ने) डॉ शनमुगम को अपने अपार्टमेंट परिसर में कार पार्किंग स्लॉट का उपयोग करने के लिए भुगतान करने के लिए कहा. परिवार के एक सदस्य ने कहा, "वह उसे बुलाता और परेशान करता था, यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपना चिकन भेज सकता है, यह जानते हुए कि वह शाकाहारी है."
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जुलाई में, कथित उत्पीड़न ने एक नया मोड़ लिया. महिला के रिश्तेदार ने कहा, "सरकारी डॉक्टर ने उसके दरवाजे पर पेशाब किया और उसकी जगह पर इस्तेमाल किया मास्क और अन्य गंदी चीजे फेंक दी. हमारे पास सीसीटीवी फुटेज है, लेकिन पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करेगी. उन्होंने केवल सीएसआर (सामुदायिक सेवा रजिस्टर) रसीद दी. हालंकि हमारी शिकायत पहले उत्पीड़न, उपद्रव और महामारी अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की मांग की थी, पुलिस ने एक शिकायत देने के लिए डॉक्टर का इंतजार किया और बाद में हमारी शिकायत को ही झूठा और जवाब में की गई शिकायत बता दिया."
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चेन्नई के अडंबक्कम पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी बाला ने पुलिस की लापरवाही के आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा, "महिला प्राथमिकी नहीं चाहती थी और विवरण सार्वजनिक नहीं करना चाहती थी. उसने हमें एक समझौता किए जाने के बारे में बताया है," एक विशेष सवाल पर कि क्या पुलिस ने डॉक्टर से पूछताछ या जांच की थी, पुलिस अधिकारी ने कहा, "नहीं, डॉक्टर भी कहते हैं कि दोनों पक्ष समझौता पर काम कर रहे हैं."
जब एनडीटीवी ने इस डॉक्टर के पास पहुंचने का प्रयास किया, तो शुरू में उसने कहा कि वह वापस कॉल करेगा. लेकिन उसने वापस कॉल नहीं किया, बाद में फिर से फोन करने पर फोन उठाया नहीं. इस बीच ABVP का एक बयान कार पार्किंग के मुद्दे की पुष्टि करता है, लेकिन सीसीटीवी फुटेज के साथ छेड़छाड़ की बात भी कह रहा है.
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उधर डीएमके सांसद कनिमोझी ने इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी पलानीस्वामी के हस्तक्षेप की मांग की है. कनिमोझी ने ट्वीट किया, "राइट विंग सदस्यों के खिलाफ शिकायतों पर आंखें मूंद लेना पुलिस की ओर से एक दिनचर्या बन गई है. @CMOTamilNadu को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी को कानून के समक्ष समान व्यवहार किया जाए. "
इसके साथ ही कई लोगों ने यह भी सवाल उठाए हैं कि डॉ सुब्बैया एक सरकारी डॉक्टर होते हुए किसी राजनीतिक सगंठन के शीर्ष पद पर कैसे रह सकते हैं? यह सरकारी मानदंडों का उल्लंघन है.
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