
नई दिल्ली:
तमाम राजनीतिक उठापटक, अटकलबाजी और सस्पेंस के बाद अंतत: यूपीए ने सरकार के ‘संकटमोचक’ प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति भवन जाने का रास्ता तैयार कर दिया।
यूपीए घटक तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बावजूद सपा, बसपा सहित यूपीए से बाहर के कुछ दलों के समर्थन से मुखर्जी की जीत लगभग पक्की समझी जा रही है। कांग्रेस और उनके सहयोगियों को लगता है कि न सिर्फ प्रणब मुखर्जी का अनुभव उन्हें राष्ट्रपति की रेस में सबसे आगे रखेगा, बल्कि उनकी इमेज ऐसी रही है कि विरोधी दलों को भी राजी कराने में ज्यादा मुश्किल पेश नहीं आएगी।
राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उम्मीदवारी की घोषणा के बाद पत्रकारों से बातचीत करने आए प्रणब दा ने हिन्दी बोलकर सबको चौंका दिया, क्योंकि उन्हें सार्वजनिक तौर पर हिन्दी बोलते हुए काफी कम देखा गया है।
प्रणब दा ने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में उन्हें अपनी पार्टी के अलावा सभी दलों के नेताओं का समर्थन मिलता रहा है और अब भी मैं उनसे समर्थन की उम्मीद करता हूं। साथ ही ममता बनर्जी के बारे में उन्होंने कहा कि वह उनकी बहन हैं और वह ममता से भी समर्थन की अपील करते हैं।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के भाई राम गोपाल यादव ने मुखर्जी के नाम के समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि प्रणव दा को अंतत: उम्मीदवार बनाया गया। पार्टी उनका समर्थन करती है और उनकी जीत की कामना करती है।
इसी तरह, बसपा प्रमुख मायावती ने भी मुखर्जी के नाम का समर्थन करते हुए लखनऊ में कहा कि वह सबसे योग्य उम्मीदवार हैं। उनकी पार्टी ने मुखर्जी के पक्ष में मतदान का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से मुखर्जी के लिए समर्थन मांगा है। इससे पहले, शुक्रवार शाम को महीनों से चल रही सरगर्मियों को विराम देते हुए सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं की प्रधानमंत्री आवास पर बैठक हुई और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 77 वर्षीय मुखर्जी के नाम का प्रस्ताव किया। घटक दलों के नेताओं ने सर्वसम्मति से उनके नाम पर मुहर लगा दी। तृणमूल बैठक में शामिल नहीं हुई।
सोनिया ने कहा कि मुखर्जी का पांच दशक का सार्वजनिक जीवन का प्रतिष्ठित रिकार्ड रहा है। उनकी उम्मीदवारी को लेकर व्यापक सहमति है। संप्रग सभी राजनीतिक दलों और सभी सांसदों एवं विधायकों से अपील करती है कि वे मुखर्जी की राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी का समर्थन करें।
कल तक एपीजे अब्दुल कलाम का नाम आगे कर तृणमूल के सुर में सुर मिलाने वाले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ‘यू टर्न’ मारते हुए मुखर्जी के नाम का समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा कि ममता के साथ उन्होंने जो नाम आगे किए थे, वे उनके सुझाव भर थे लेकिन सरकार ने उसे माना नहीं।
राष्ट्रपति पद चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद सोनिया का आभार व्यक्त करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मैं काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं पूरी नम्रता से इसे स्वीकारता हूं।’ उन्होंने कहा कि हमने सभी दलों से समर्थन का आग्रह किया है।
इस सवाल पर कि अगला वित्त मंत्री कौन होगा, मुखर्जी ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगे।
यूपीए घटक तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बावजूद सपा, बसपा सहित यूपीए से बाहर के कुछ दलों के समर्थन से मुखर्जी की जीत लगभग पक्की समझी जा रही है। कांग्रेस और उनके सहयोगियों को लगता है कि न सिर्फ प्रणब मुखर्जी का अनुभव उन्हें राष्ट्रपति की रेस में सबसे आगे रखेगा, बल्कि उनकी इमेज ऐसी रही है कि विरोधी दलों को भी राजी कराने में ज्यादा मुश्किल पेश नहीं आएगी।
राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उम्मीदवारी की घोषणा के बाद पत्रकारों से बातचीत करने आए प्रणब दा ने हिन्दी बोलकर सबको चौंका दिया, क्योंकि उन्हें सार्वजनिक तौर पर हिन्दी बोलते हुए काफी कम देखा गया है।
प्रणब दा ने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में उन्हें अपनी पार्टी के अलावा सभी दलों के नेताओं का समर्थन मिलता रहा है और अब भी मैं उनसे समर्थन की उम्मीद करता हूं। साथ ही ममता बनर्जी के बारे में उन्होंने कहा कि वह उनकी बहन हैं और वह ममता से भी समर्थन की अपील करते हैं।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के भाई राम गोपाल यादव ने मुखर्जी के नाम के समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि प्रणव दा को अंतत: उम्मीदवार बनाया गया। पार्टी उनका समर्थन करती है और उनकी जीत की कामना करती है।
इसी तरह, बसपा प्रमुख मायावती ने भी मुखर्जी के नाम का समर्थन करते हुए लखनऊ में कहा कि वह सबसे योग्य उम्मीदवार हैं। उनकी पार्टी ने मुखर्जी के पक्ष में मतदान का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से मुखर्जी के लिए समर्थन मांगा है। इससे पहले, शुक्रवार शाम को महीनों से चल रही सरगर्मियों को विराम देते हुए सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं की प्रधानमंत्री आवास पर बैठक हुई और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 77 वर्षीय मुखर्जी के नाम का प्रस्ताव किया। घटक दलों के नेताओं ने सर्वसम्मति से उनके नाम पर मुहर लगा दी। तृणमूल बैठक में शामिल नहीं हुई।
सोनिया ने कहा कि मुखर्जी का पांच दशक का सार्वजनिक जीवन का प्रतिष्ठित रिकार्ड रहा है। उनकी उम्मीदवारी को लेकर व्यापक सहमति है। संप्रग सभी राजनीतिक दलों और सभी सांसदों एवं विधायकों से अपील करती है कि वे मुखर्जी की राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी का समर्थन करें।
कल तक एपीजे अब्दुल कलाम का नाम आगे कर तृणमूल के सुर में सुर मिलाने वाले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ‘यू टर्न’ मारते हुए मुखर्जी के नाम का समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा कि ममता के साथ उन्होंने जो नाम आगे किए थे, वे उनके सुझाव भर थे लेकिन सरकार ने उसे माना नहीं।
राष्ट्रपति पद चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद सोनिया का आभार व्यक्त करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मैं काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं पूरी नम्रता से इसे स्वीकारता हूं।’ उन्होंने कहा कि हमने सभी दलों से समर्थन का आग्रह किया है।
इस सवाल पर कि अगला वित्त मंत्री कौन होगा, मुखर्जी ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगे।
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