1 फरवरी को निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. लेकिन अर्थव्यवस्था के हालात बुरे हैं. उद्योग जगत गिरावट का सामना कर रहा है- खास कर ऑटो उद्योग. क्या बजट अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सकता है? जब बजट की तैयारी चल रही है, तब उसी वक़्त दिसंबर की तिमाही के मायूस करने वाले नतीजे आ रहे हैं. अब तक जिन 29 कंपनियों ने नतीजे घोषित किए हैं- उनमें 22 छोटी कंपनियां हैं- वहां आय बढ़ोतरी महज 7% रही है, बीते साल ये 8% थी. और शुद्ध मुनाफ़ा 1.3% घटा है. दिसंबर की तिमाही का हाल सितंबर की तिमाही जैसा ही लग रहा है जब कॉरपोरेट कमाई 14 तिमाहियों में पहली बार निगेटिव ग्रोथ दिखा रही थी. ये सब ऐसे समय हो रहा है जब उपभोक्ता महंगाई दर 5 साल में सबसे ज़्यादा है और विकास दर साढ़े छह साल में सबसे नीचे 4.5% है. सरकार निवेश बढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन बजट अनुमानों तक पहुंचने के लिए टैक्स संग्रह बढ़ाना होगा. फिर सरकार के सामने दोहरी चुनौती है- बढ़ती महंगाई दर की और घटती विकास दर की.
6 बड़ी बातें
- साल 2020 का बजट ऐसे समय आ रहा है जब अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है और नई नौकरियों की संभावना कम है. इस बीच हजारों लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी हैं. कई सेक्टरों में हालत ठीक नहीं है.
- सरकार के ही आंकड़े हैं कि वित्तीय साल 2019-20 में जीडीपी 5 फीसदी के आसपास रही है. यह पिछले 11 सालों में सबसे कम विकास दर रही है. वित्त मंत्री को अर्थव्यवस्था में गति देने के लिए और खर्चों का विकल्प बढ़ाना होगा.
- कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कई बड़े वित्तीय उपाय अपना सकती है क्योंकि आरबीआई की ओर से मौद्रिक नीति में ढील ने राहत दी है.
- सरकार ने साल 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. हर साल 1.2 करोड़ युवक नौकरी लिए तैयार हो रहे हैं और इन सबको खपाने के लिए विकास दर को 8 फीसदी तक लाना होगा.
- सरकार ने पिछले कुछ दिनों में कई उपाय भी किए हैं. जिसमें कारपोरेट टैक्स में कटौती और 102 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं का ऐलान है जो इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हैं.
- कारपोरेट टैक्स में कटौती के बाद माना जा रहा है कि सरकार इनकम टैक्स में भी कटौती का ऐलान कर सकती है.