
केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा आज एक गैर सरकारी संगठन के आरोपों के साथ ही एक नए विवाद का केंद्र बन गए। इस संगठन ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि रंजीत सिन्हा के निवास का आगंतुक रजिस्टर 'बेहद परेशान करने वाली' और 'विस्फोट सामग्री' पेश करता है, जो 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन कांड में न्याय की राह में आड़े आ रही है।
2जी स्पेक्ट्रम में शीर्ष अदालत से 122 लाइसेंस निरस्त करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक गैर सरकारी संगठन पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस ने न्यायालय में यह मसला उठाया।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष गैर सरकारी संगठन के वकील प्रशांत भूषण इस मसले पर तैयार अपना नोट पढ़ रहे थे, लेकिन सीबीआई के वकील ने इस रजिस्ट्रर का विवरण खुले न्यायालय में सार्वजनिक करने पर आपत्ति की। न्यायालय इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया।
न्यायाधीशों ने कहा, 'यदि आप इस सामग्री की प्रति हमें, सीबीआई और सीबीआई निदेशक के वकील को मुहैया करा सकें तो हम इस मामले पर परसों विचार कर सकते हैं।'
प्रशांत भूषण ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण की जांच से उप महानिरीक्षक संतोष रस्तोगी को अलग रखने की घटना जिसे शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप पर दुरुस्त किया गया और इस मामले से सिन्हा को अलग रखने की अर्जी लंबित होने के दौरान एक और 'बहुत ही पेरशान करने वाली' बात हुई है।
उन्होंने कहा, 'कल रात मुझे बहुत ही परेशान करने वाली और विस्फोटक सामग्री मिली। यह निदेशक के निवास का आंगतुक रजिस्टर है।' इसके साथ ही उन्होंने मीडिया में आई एक खबर का हवाला दिया, जिसमें पिछले 15 महीनों में इस मामले में अभियुक्त एक कंपनी के बड़े अधिकारियों ने सीबीआई निदेशक से उनके घर में मुलाकातों का जिक्र है।'
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