नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट की चूक का खामियाजा याचिकाकर्ता क्यों भुगते. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पुराने फैसले को वापस ले लिया और इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही एक महिला के केस की फिर से सुनवाई के लिए तैयार हो गया. दरअसल इस महिला ने अपने पति से अलग होने के बाद गुजारा भत्ता को लेकर केस दायर किया था.
दरअसल इस महिला के केस का निपटारा सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कर दिया था, क्योंकि महिला और उसके पति ने कोर्ट में कहा कि दोनों के बीच समझौता हो गया है. इसके बाद महिला की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई तो महिला ने अवमानना का केस दाखिल किया. पति का कहना था कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था. सोमवार को मामले की सुनवाई दौरान पीड़ित महिला ने कहा कि 3 सितंबर, 2013 को कोर्ट ने जो आदेश दिया था, उसमें ये कहा था कि दोनों पक्षो के बीच सहमति हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
पीड़ित महिला ने कोर्ट को बताया कि उसका 15 साल का बच्चा है और गुजारे भत्ते के लिए केवल 7500 रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि सितंबर, 2004 से सितंबर, 2010 के लिए उसे 5.50 लाख रुपये मिलने चाहिए थे. जो अभी तक नहीं मिला. कोर्ट ने महिला से पूछा आप क्या चाहती हैं. महिला ने कोर्ट को बताया निचली अदालत के आदेश के मुताबिक मुझे 9 लाख 70 हज़ार रुपये दिए जाने चाहिए थे, लेकिन केवल 90 हज़ार रुपये दिए गए. कोर्ट ने पति के वकील से पूछा कि क्या दोनों पक्षों के बीच सहमित नहीं बनी थी, जिस पर पति ने कहा- नहीं. कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट में कह रहे हैं कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, तो फिर ये चूक है और कोर्ट इसे सुधारेगा. इसी शुक्रवार को मामले की हम सुनवाई करेंगे आप तैयार हो कर आएं.
दरअसल इस महिला के केस का निपटारा सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कर दिया था, क्योंकि महिला और उसके पति ने कोर्ट में कहा कि दोनों के बीच समझौता हो गया है. इसके बाद महिला की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई तो महिला ने अवमानना का केस दाखिल किया. पति का कहना था कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था. सोमवार को मामले की सुनवाई दौरान पीड़ित महिला ने कहा कि 3 सितंबर, 2013 को कोर्ट ने जो आदेश दिया था, उसमें ये कहा था कि दोनों पक्षो के बीच सहमति हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
पीड़ित महिला ने कोर्ट को बताया कि उसका 15 साल का बच्चा है और गुजारे भत्ते के लिए केवल 7500 रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि सितंबर, 2004 से सितंबर, 2010 के लिए उसे 5.50 लाख रुपये मिलने चाहिए थे. जो अभी तक नहीं मिला. कोर्ट ने महिला से पूछा आप क्या चाहती हैं. महिला ने कोर्ट को बताया निचली अदालत के आदेश के मुताबिक मुझे 9 लाख 70 हज़ार रुपये दिए जाने चाहिए थे, लेकिन केवल 90 हज़ार रुपये दिए गए. कोर्ट ने पति के वकील से पूछा कि क्या दोनों पक्षों के बीच सहमित नहीं बनी थी, जिस पर पति ने कहा- नहीं. कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट में कह रहे हैं कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, तो फिर ये चूक है और कोर्ट इसे सुधारेगा. इसी शुक्रवार को मामले की हम सुनवाई करेंगे आप तैयार हो कर आएं.
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