चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव ही क्यों चुना भारत ने चंद्रयान-2 उतारने के लिए

भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान 2 का लैंडर 'विक्रम' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है, लेकिन ISRO ने लैडिंग के लिए यही जगह क्यों चुनी, बता रहे हैं NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला. 

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव ही क्यों चुना भारत ने चंद्रयान-2 उतारने के लिए

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नई दिल्ली:

भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान 2 का लैंडर 'विक्रम' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है, लेकिन ISRO ने लैडिंग के लिए यही जगह क्यों चुनी, बता रहे हैं NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला.  वैज्ञानिक उपकरणों से लैस और देश का गौरव बन चुके लैंडर 'विक्रम' तथा रोवर 'प्रज्ञान' अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की ओर बढ़ रहे हैं, जो अब तक कतई अनजान जगह है. चीन का मिशन चंद्रमा की सतह के सबसे उत्तरी छोर की तरफ गया था, और अपोलो मिशन समेत ज़्यादातर अमेरिकी मिशनों में लैंडिंग चंद्रमा के भूमध्य क्षेत्र में की गई. अब भारत चाहता है कि दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रमा की सतह को परखे.

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कितना मुश्किल है चंद्रमा पर जाना...?
फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष डॉ ज्यां-य्वेस ले गाल ने NDTV को बताया, 'चंद्रमा पर जाना कठिन है, चंद्रमा पर उतरना बहुत आसान नहीं है... हमने देखा कि इस्राइली लैंडर को कुछ समस्याएं हुई थीं, और इसके अलावा रोवर भी आसान नहीं होता, तो यह बहुत महत्वाकांक्षी मिशन है...'

लैंडिंग के बाद, रोवर चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करेगा, और लैंडर चंद्रमा के भूकंपों को मापने के अलावा चंद्रमा की सतह में खुदाई भी करेगा. चंद्रमा की सतह पर पानी की तलाश भी भारत जारी रखेगा, क्योंकि भविष्य में यहां बसने के लिए पानी की खोज बेहद अहम है.

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