यह ख़बर 24 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

आरुषि-हेमराज हत्या मामले में सोमवार को फैसला

गाजियाबाद:

आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत यहां सोमवार को फैसला सुनाएगी। हत्या 15 मई 2008 को हुई थी।

हत्या के बाद मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस ने की थी। पुलिस को आरुषि के माता-पिता राजेश और नुपुर तलवार पर संदेह था। दोनों दंत चिकित्सक हैं। राजेश तलवार को 23 मई 2008 को गिरफ्तार किया गया था।

वारदात के करीब दो सप्ताह बाद 31 मई 2008 को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने 29 दिसंबर 2010 को मामले को बंद करने के लिए रिपोर्ट सौंप दी थी। विश्वसनीय सबूत के अभाव में सीबीआई ने कहा, "किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।"

25 जून 2011 को सुनवाई के दौरान अदालत परिसर में राजेश तलवार पर हमला हुआ, जिसके बाद तलवार दंपत्ति ने मामले को गाजियाबाद से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए याचिका दाखिल की लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।

इस बीच हेमराज ऊर्फ एम. प्रसाद बंझारे की 43 वर्षीय विधवा और नेपाल के अरघाखांची जिले के धारापानी की निवासी खुक्ला बंझारे ने सीबीआई अदालत को एक याचिका सौंप कर आरोप लगाया कि उनके पति की हत्या तलवार दंपत्ति ने की है। उसने कहा कि हेमराज ने उसे बताया था कि उसके नियोक्ता तलवार दंपत्ति काफी गुस्सैल हैं, जो छोटी-छोटी बातों पर उसे डांटते हैं। वे देर रात तक पार्टियां करते हैं। उसके मुताबिक हेमराज ने यह भी कहा था कि वह नौकरी बदलना चाहता है।

28 फरवरी 2011 को सीबीआई के विशेष मजिस्ट्रेट ने मामला बंद किए जाने की रिपोर्ट खारिज कर दी और राजेश तथा नुपुर तलवार को सम्मन भेजा।

सीबीआई के जांच अधिकारी एजीएल कौल ने अपनी गवाही में कहा कि परिस्थिति जन्य साक्ष्यों के मुताबिक उनका मानना है कि दंतचिकित्सक दंपत्ति ने ही अपनी बेटी की हत्या की है।

कौल ने हालांकि कहा कि उसने कभी ऐसी छुरी नहीं देखी है, जिसका उपयोग आरुषि और हेमराज के गले की नस काटने में किया गया हो।

आखिरी सुनवाई में आरुषि के आरोपी माता-पिता ने सीबीआई के इस निष्कर्ष को खारिज कर दिया कि अचानक गुस्से में आकर उन्होंने अपनी बेटी और नौकर की हत्या की थी।

दंपत्ति ने कहा कि सीबीआई ने अलग-अलग चरणों में अलग-अलग हथियारों-हथौड़ी, चाकू, खुकरी, गोल्फ स्टिक और सर्जिकल स्काल्पेल-का जिक्र किया, जिससे पता चलता है कि सीबीआई इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि आखिर क्या हुआ था।

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12 नवंबर 2013 को सीबीआई अदालत ने 25 नवंबर को फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की।