मातोश्री आवास की छत पर शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाला साहब ठाकरे (Bal Thackeray) के साथ बीयर पीते हुए बतियाना हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) और उनके परिवार के साथ छुट्टियां बिताना हो, महान अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) के लगभग सभी बड़े राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध थे. हालांकि बाद में इन रिश्तों में दूरियां भी आ गई थीं. 98 वर्षीय दिलीप कुमार का मुंबई के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद बुधवार को निधन हो गया.
मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों के मामले में गिरफ्तार संजय दत्त के साथ दिलीप कुमार का "थोड़ा नरम" रहने का अनुरोध शरद पवार ने ठुकरा दिया था. पवार उस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, इसके बाद दोनों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी .
संजय दत्त 1993 में उस वक्त गिरफ्तार कर लिए गए थे जब उनका करियर अपने चरम पर था. उनके खिलाफ एके—56 राइफल रखने के लिए मामला दर्ज किया गया था और यह उस सिलसिलेवार धमाकों में इस्तेमाल होने के वाले हथियारों और विस्फोटकों की खेप में लाई गई थी, जिसमें 257 लोग मारे गए थे.
इसी प्रकार दिलीप कुमार का पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ''निशान—ए—इम्तियाज'' स्वीकार करना ठाकरे को रास नहीं आया और वह चाहते थे कि अभिनेता इस पुरस्कार को पाकिस्तान को लौटा दें.
अपनी पुस्तक ''आन माई टर्म्स'' में शरद पवार ने दिवंगत अभिनेता द्वारा चुनाव के दौरान उनके पक्ष में किए गए प्रचार को याद किया है, उस वक्त पवार कांग्रेस पार्टी में थे. पवार ने कांग्रेस से निकाले जाने के बाद पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया था.
पवार कहते हैं कि दिलीप कुमार और तत्कालीन बम्बई प्रदेश कांग्रेस कमेटी के साथ उनकी निकटता बढ़ी. उन्होंने कहा, ''चूंकि हमारे परिवार भी एक दूसरे से परिचति हो गए थे इसलिए हमें जब भी मौका मिलता हम सब एक साथ भारत में अथवा विदेशों में लंबी छुट्टियों पर चले जाते.''
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उन्होंने कहा कि दिलीप कुमार एक जबरदस्त वक्ता थे जो अपने भाषणों से श्रोताओं को घंटों मंत्रमुग्ध कर देते थे. वे शूटिंग में से समय निकाल कर बारामती पहुंच जाते और चुनाव रैलियों को संबोधित करते थे. पवार ने याद किया है कि जब भी वह भाषण देते तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था और लोग उनके कहे गए एक-एक शब्द को हाथों हाथ लेते थे.
उन्होंने लिखा है कि 1993 में संजय दत्त की गिरफ्तारी के बाद जब अभिनेता दिलीप कुमार मिलने आए तो इसके बाद दोनों के बीच संबंधों में खटास आ गई. पवार ने कहा,''वह अपने करीबी दोस्त संजय दत्त की बेचैनी से बेहद दुखी थे और उनके मामले में मुझसे थोड़ी नरमी चाहते थे. दत्त के खिलाफ मजबूत साक्ष्य का हवाला देते हुए मैंने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया. इसके बाद हम दोनों के संबंधों में नीरसता आ गई लेकिन हमारे परिवार के साथ सायरा बानो के संबंध गर्मजोशी के साथ बने रहे.''
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राजनीतिक परिदृश्य में बाल ठाकरे और पवार एक दूसरे के विरोधी थे, इसके बावजूद दिलीप कुमार के ठाकरे के साथ भी अच्छे संबंध थे. अपनी पुस्तक ''बाल ठाकरे एंड राइज आफ शिवसेना'' में पत्रकार एवं लेखक वैभव पुरंदरे लिखते हैं कि मातोश्री की छत पर दिलीप कुमार के साथ शाम को बीयर पीने का सिलसिला उस वक्त समाप्त हो गया जब अभिनेता ने पाकिस्तान से निशान-ए-इम्तियाज सम्मान को स्वीकार कर लिया. पुस्तक के अनुसार, बाल ठाकरे ने हिंदी में कहा था, ''अभी चना भी हैं, बीयर भी है लेकिन दिलीप कुमार के रास्ते बदल गए.''
दिवंगत बाल ठाकरे के पुत्र एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दिलीप कुमार एक चमकता सितारा थे जिन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग को समृद्ध बनाया.
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