आजकल लगभग हर कोई मोबाइल में वाट्सएप (WhatsApp) का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन इसको लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. दरअसल वाट्सएप के अधिकारियों ने NDTV को बताया है कि इस हफ्ते उनकी ओर से कई भारतीयों को कहा गया है कि एक इजरायली 'स्पाइवेयर' ने वाट्सएप के जरिए उनकी जासूसी की है. इनमें भारतीय पत्रकार, एक्टिविस्ट शामिल हैं. इनकी जासूसी मई के महीने में की गई है. मंगलवार को ही वाट्सएप की पैरेंट कंपनी फेसबुक की ओर से इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी एनएसओ पर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है कि उसने वाट्सएप के सर्वर का इस्तेेमाल कर 1400 वाट्सएप यूजरों को यह मॉलवेयर फैलाया है जिसकी जरिए उसने जासूरी की है. इनमें 20 देशों के पत्रकार, सरकार के उच्चाधिकारी, मानवाधिकार एक्टिविस्ट शामिल हैं. भारत में WION टीवी के पत्रकार सिद्धांत सिब्बल ने ट्ववीट कर बताया है कि उनसे भी वाट्एप की ओर से संपर्क किया गया है. उन्होंने कहा है कि तकनीकी और कानूनी कदम उठाए गए हैं.
Here is the good news. Whatsapp was able to raise the alarm of hacking and they promptly took measures--Technical & Legal. Having being approached by them, they suggested measures to be safe online.
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 31, 2019
इस स्पाइवेयर जरिए वाट्सएप इस्तेमाल करने वाले शख्स के मैसेज, कॉल और पासवर्ड की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है. कितने लोगों की जासूसी की गई है इसकी कोई निश्चित संख्या तो वाट्सएप की ओर से नहीं बताई गई है लेकिन उसकी ओर से यह जरूर कहा गया है कि उसने प्रभावित लोगों को फोन कर सूचना दे दी है. माना जा रहा है कि भारत में यह जासूसी अप्रैल के दो हफ्ते में की गई है. फेसबुक ने मई के महीने में घोषणा की थी कि उसने एक साइबर अटैक को नाकाम कर दिया है.
कैसे काम करता है यह स्पाईवेयर
इस स्पाईवेयर का नाम Pegasus है. जैसी ही आपको कई वीडियो कॉल करता है तो साइबर हमला करने वाला शख्स एक कोड जारी करता है जिसके जरिए यह आपके फोन में इंस्टॉल हो जाता है. भले ही वीडियो कॉल को आपने रिसीव न किया हो. फोन में इंस्टॉल होने के बाद इसके जरिए आपके फोन, कॉल, वाइस कॉल, पासवर्ल्ड, कॉन्टेक्ट लिस्ट, कलेंडर इवेंट, माइक्रोफोन, कैमरे तक की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है.
एनएसओ ने किया इनकार
वहीं इजरायल कंपनी ने ऐसी किसी भी आरोप से इनकार किया है और कहा कि इसका कोर्ट में सामना किया जाएगा. उसकी ओर से कहा गया है कि उसकी तकनीकि पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ करने के लिए नहीं है. साथ में यह भी कहा कि Pegasus वैध सरकारी एजेंसियों के लिए ही लाइसेंस मिला है.
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