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अहमदाबाद:
28 हफ्ते के गर्भ को लिए 24 वर्षीय महिला अपने और बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित है। गुजरात की इस 'निर्भया' की कहानी भी बेहद दर्दनाक है।
गुजरात के बोटाद ज़िले के देवलिआ गांव की रहनेवाली 24 वर्ष की इस महिला को पिछले साल जुलाई में गुजरात के सूरत से अगवा कर लिया गया था। करीब 8 महीनो तक 7 अपहरणकर्ता उसे अलग-अलग जगह ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करते रहे। पुलिस ने भी उसे ढूंढने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बहुत बार पुलिस के पास गुहार लगाई तब जाकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज की गयी। लेकिन जांच की कोई कोशिश नहीं हुई जिससे इस महिला की ज़िन्दगी में अंधेरा छा गया। आखिर इस साल मार्च में वो किसी तरह अपहरणकर्ताओं के चंगुल से अपनी जान बचाकर भाग गयी। लेकिन तब तक वो 24 हफ्ते का गर्भ अपने में समेटे हुए थी। जब घर गयी तो पति ने दुष्कर्म से पनपे गर्भ को अपनाने से इंकार कर दिया।
महिला ने पहले निचली कोर्ट में गुहार लगाई कि उसे गर्भपात की अनुमति दी जाय क्योंकि ये बच्चा उसके साथ हुए दुष्कर्म की वजह से हो रहा है, लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील ठुकरा दी। आखिरकार 'निर्भया' ने गुजरात हाई कोर्ट में भी गुहार लगाई की उसे गर्भपात की अनुमति दी जाय।
डॉक्टरों ने राय जताई कि चूंकि गर्भ बहुत बड़ा हो गया है, ऐसे में गर्भपात करवाने में निर्भया की जान को खतरा हो सकता है। लिहाज़ा हाई कोर्ट ने भी 'निर्भया' की सुरक्षा के मद्देनज़र उसे गर्भपात न करने का फैसला सुनाया। साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य सरकार को भी सख्त हिदायत दी है कि इस महिला और उसके बच्चे की सुरक्षा और ज़िम्मेदारी राज्य सरकार के हवाले है और उनके भविष्य का ख्याल रखा जाय।
निर्भया ने अपने पति को समझने की कोशिश की है, लेकिन उसका पति दुष्कर्म के परिणामस्वरूप पैदा हो रहे इस बच्चे को अपनाने को तैयार नहीं है। उसका पति कह रहा है की कोर्ट ने आदेश दिया है तो वो ये आश्वस्त ज़रूर करेगा कि इस बच्चे का जन्म ठीक ठाक हो जाय लेकिन उसके बाद उस बच्चे का भविष्य क्या होगा इसका फैसला उसके समाज के बुज़ुर्ग लेंगे। ऐसे में 'निर्भया' अपने और बच्चे के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित है।
गुजरात के बोटाद ज़िले के देवलिआ गांव की रहनेवाली 24 वर्ष की इस महिला को पिछले साल जुलाई में गुजरात के सूरत से अगवा कर लिया गया था। करीब 8 महीनो तक 7 अपहरणकर्ता उसे अलग-अलग जगह ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करते रहे। पुलिस ने भी उसे ढूंढने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बहुत बार पुलिस के पास गुहार लगाई तब जाकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज की गयी। लेकिन जांच की कोई कोशिश नहीं हुई जिससे इस महिला की ज़िन्दगी में अंधेरा छा गया। आखिर इस साल मार्च में वो किसी तरह अपहरणकर्ताओं के चंगुल से अपनी जान बचाकर भाग गयी। लेकिन तब तक वो 24 हफ्ते का गर्भ अपने में समेटे हुए थी। जब घर गयी तो पति ने दुष्कर्म से पनपे गर्भ को अपनाने से इंकार कर दिया।
महिला ने पहले निचली कोर्ट में गुहार लगाई कि उसे गर्भपात की अनुमति दी जाय क्योंकि ये बच्चा उसके साथ हुए दुष्कर्म की वजह से हो रहा है, लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील ठुकरा दी। आखिरकार 'निर्भया' ने गुजरात हाई कोर्ट में भी गुहार लगाई की उसे गर्भपात की अनुमति दी जाय।
डॉक्टरों ने राय जताई कि चूंकि गर्भ बहुत बड़ा हो गया है, ऐसे में गर्भपात करवाने में निर्भया की जान को खतरा हो सकता है। लिहाज़ा हाई कोर्ट ने भी 'निर्भया' की सुरक्षा के मद्देनज़र उसे गर्भपात न करने का फैसला सुनाया। साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य सरकार को भी सख्त हिदायत दी है कि इस महिला और उसके बच्चे की सुरक्षा और ज़िम्मेदारी राज्य सरकार के हवाले है और उनके भविष्य का ख्याल रखा जाय।
निर्भया ने अपने पति को समझने की कोशिश की है, लेकिन उसका पति दुष्कर्म के परिणामस्वरूप पैदा हो रहे इस बच्चे को अपनाने को तैयार नहीं है। उसका पति कह रहा है की कोर्ट ने आदेश दिया है तो वो ये आश्वस्त ज़रूर करेगा कि इस बच्चे का जन्म ठीक ठाक हो जाय लेकिन उसके बाद उस बच्चे का भविष्य क्या होगा इसका फैसला उसके समाज के बुज़ुर्ग लेंगे। ऐसे में 'निर्भया' अपने और बच्चे के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित है।
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