दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शनिवार को आयोजित एक समारोह में अपने बेटे शाबान बुखारी का 17वीं सदी की इस ऐतिहासिक मस्जिद के नायब इमाम के तौरे पर दस्तारबंदी की।
इमाम बुखारी ने कहा, 'मैं शाबान बुखारी को जामा मस्जिद का नायब इमाम घोषित करता हूं। मुझे उम्मीद है कि वह सभी उम्मीदों को पूरा करेंगे।'
भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक का नायब इमाम बनने वाले 19 साल के शाबान अभी अमेटी युनिवर्सिटी से सामाज-कार्य विषय में ग्रैजुएशन कर रहे हैं। इस पद पर उनकी ताजपोशी शुरुआत से ही विवादों में घिरी रही और दिल्ली हाईकोर्ट ने इमाम बुखारी से अपने बेटे को उत्तराधिकारी घोषित करने के कदम पर स्पष्टिकरण मांगा है।
वहीं इस पूरे विवाद पर इमाम बुखारी का कहना है कि पिछले 400 वर्षों से उनका परिवार ही पीढ़ी दर पीढ़ी इस मस्जिद का इमामत करता रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के उसे आदेश का सम्मान करते हैं जिसमें उनसे अपने बेटे को उत्तराधिकारी घोषित करने के फैसले पर स्पष्टिकरण मांगा है।
उन्होंने इस पूरे मुद्दे को तूल देने को लेकर वक्स बोर्ड की कड़ी निंदा की और साथ ही जोड़ा कि लोग उसके साथ हैं और 'उनके लिए सिर्फ यही चीज़ अहम है।' बुखारी आज शाम जामा मस्जिद के नायब इमाम के तौर पर अपने बेटे की दस्तारबंदी कर रहे हैं।
इस संबंध में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि बुखारी के इस कदम की 'कोई कानूनी वैधता' नहीं। हालांकि कोर्ट ने इस दस्तारबंदी कार्यक्रम को रद्द न करते हुए उन्हें 28 जनवरी अपने इस कदम पर स्पष्टिकरण देने को कहा है।
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